img

Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा सत्ता में वापसी के बाद वैश्विक व्यापार समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। हाल ही में ट्रंप ने एक बार फिर रेसिप्रोकल टैरिफ (पारस्परिक शुल्क) नीति का जोरदार समर्थन करते हुए संकेत दिया कि अब अमेरिका अपने बढ़ते कर्ज को चुकाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने जा रहा है।

वैश्विक व्यापार में "न्याय" की बात

ट्रंप ने सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया कि वह किसी देश पर "दबाव" नहीं बना रहे, बल्कि “निष्पक्षता” सुनिश्चित करना चाहते हैं। उनका मानना है कि कई साल पहले ही अमेरिका को यह नीति अपनानी चाहिए थी, ताकि देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा कि सैकड़ों अरब डॉलर अमेरिका की अर्थव्यवस्था में वापस लाए जाएंगे, जिससे विदेशी कर्ज को घटाया जा सकेगा।

भारत और अन्य देशों पर क्या होगा असर?

भारत जो वर्षों से अमेरिकी बाजार में बड़े पैमाने पर निर्यात करता रहा है, अब ट्रंप की इस नई टैक्स नीति की चपेट में आ गया है। भारत पर अब 25% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया है, जिससे भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों पर प्रभाव पड़ सकता है। भारत के अलावा ब्राज़ील (50%), कनाडा (35%), स्विट्जरलैंड (39%), ताइवान (20%) और सीरिया (41%) जैसे देशों को भी इस नई कर नीति का सीधा नुकसान होगा।

क्यों उठाया गया यह कदम?

ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा बना हुआ है, उनसे समान शर्तों पर व्यापार करना अनिवार्य हो गया है। अप्रैल 2025 में ट्रंप ने घोषणा की थी कि ऐसे सभी देशों से आने वाले आयात पर 10% बेसलाइन टैक्स और व्यापार घाटे वाले देशों पर 50% तक रेसिप्रोकल टैक्स लगाया जाएगा।

उन्होंने 1977 के एक क़ानून का हवाला देते हुए व्यापार घाटे को 'राष्ट्रीय आपातकाल' घोषित किया और उसे ठीक करने के लिए टैक्स में कट्टर बदलाव लागू किए। शुरुआती विरोध के चलते ट्रंप ने 90 दिनों की मोहलत जरूर दी, ताकि देश बातचीत के लिए तैयार हो सकें, लेकिन समय सीमा खत्म होते ही नई कर नीति को पूरी सख्ती से लागू कर दिया गया।

पाकिस्तान को राहत, लेकिन शर्तों के साथ

पाकिस्तान पर शुरू में 29% टैक्स लगाया गया था, लेकिन बाद में तेल समझौता होने के बाद इसे घटाकर 19% कर दिया गया। यह इंगित करता है कि ट्रंप व्यापार में 'डील-मेकिंग' को प्राथमिकता देते हैं और देश विशेष की लचीलापन दिखाने की क्षमता पर टैक्स में राहत संभव है।

--Advertisement--