
मेरठ के लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के अहमदनगर इलाके में शुक्रवार रात तेज आंधी-तूफान के बीच एक पुराना मकान भरभरा कर गिर गया। इस हादसे ने पूरे मोहल्ले को दहला दिया। मकान के गिरने से सात लोग मलबे में दब गए। जैसे ही हादसे की खबर फैली, आसपास के लोग मौके पर जुट गए और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ।
रेस्क्यू में दो की मौत, पांच घायल
मलबे में दबे सात लोगों में से दो की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों की पहचान इंतखाब की पत्नी रुखसार (25) और उनकी नौ महीने की बेटी मायरा के रूप में हुई है। बाकी पांच घायलों को मलबे से निकालकर तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका इलाज जारी है। इनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।
तेज आंधी बना हादसे की वजह
बताया जा रहा है कि हादसा रात करीब 9 बजे हुआ, जब क्षेत्र में अचानक तेज आंधी-तूफान शुरू हो गया। इस दौरान एक कड़ियों से बना पुराना मकान आंधी की वजह से ढह गया। मकान उस समय स्वर्गीय इसाक की पत्नी और उनके पांच बेटों समेत कई परिजनों का आशियाना था। हादसे के वक्त सभी लोग घर के अंदर थे।
बगल के मकान का छज्जा गिरा, बना हादसे की जड़
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, स्वर्गीय इसाक के घर के ठीक बराबर एक और मकान है, जिसका करीब छह फुट लंबा छज्जा बिना किसी सपोर्ट के बाहर की ओर निकला हुआ था। आंधी के दौरान यह छज्जा ढहकर इसाक के मकान की छत पर गिरा और उसके बाद पूरा मकान धराशायी हो गया। मकान का आधा हिस्सा पूरी तरह गिर चुका है।
परिवार की स्थिति दयनीय
मृतकों में इंतखाब की पत्नी रुखसार और बेटी मायरा शामिल हैं। इसके अलावा दिलशाद (28) के पैर में गंभीर चोट आई है। 10 वर्षीय अहतेशाम को भी चोटें आई हैं और आठ साल की मोबीना के हाथ में चोट लगी है। परिवार के अन्य दो सदस्य भी घायल हुए हैं, हालांकि उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
घटना के बाद इलाके में हड़कंप, लोग सदमे में
हादसे की खबर फैलते ही आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य में जुट गए। पुलिस और प्रशासन की टीम भी तुरंत मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की। घटना के बाद पूरे इलाके में गम और आक्रोश का माहौल है। लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि पुराने और जर्जर मकानों की जांच की जाए ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।
प्रशासन से सुरक्षा इंतजामों की मांग
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि क्षेत्र में कई ऐसे मकान हैं जो जर्जर हालत में हैं और कभी भी गिर सकते हैं। इसके बावजूद न तो कोई चेतावनी जारी होती है और न ही किसी तरह की जांच या मरम्मत की प्रक्रिया शुरू होती है। लोगों ने मांग की है कि प्रशासन जल्द से जल्द ऐसे मकानों की पहचान कर उन्हें सुरक्षित ढंग से गिरवाए या मरम्मत कराए।