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Up kiran,Digital Desk : हाल ही में एक खबर में दावा किया गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच यूक्रेन शांति योजना को लेकर एक "बहुत अच्छी" बातचीत हुई है, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि पुतिन युद्ध खत्म करना चाहते हैं। यह दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य से मेल नहीं खाता।

सच्चाई क्या है?

सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं हैं। यह पद 2021 से जो बाइडेन संभाल रहे हैं। इसलिए, ट्रंप द्वारा बतौर राष्ट्रपति किसी भी प्रतिनिधिमंडल को रूस भेजने और आधिकारिक तौर पर शांति वार्ता करने का सवाल ही नहीं उठता। रिपोर्ट में ट्रंप के दामाद, जेरेड कुशनर, का भी जिक्र है, जो ट्रंप के कार्यकाल में एक वरिष्ठ सलाहकार थे, लेकिन वर्तमान बाइडेन प्रशासन में उनकी कोई आधिकारिक भूमिका नहीं है।

क्रेमलिन का रुख क्या है?

भले ही रिपोर्ट में क्रेमलिन के सलाहकार यूरी उशाकोव का हवाला दिया गया है, लेकिन रूस का आधिकारिक रुख यही रहा है कि यूक्रेन के साथ शांति वार्ता तभी संभव है जब यूक्रेन "नई जमीनी हकीकत" को स्वीकार करे, यानी उन क्षेत्रों पर रूस के नियंत्रण को मान ले जिन पर उसने कब्जा किया है। रूस और अमेरिका के बीच आधिकारिक स्तर पर बातचीत हुई है, लेकिन जमीन से जुड़े मुख्य मुद्दों पर कोई सफलता नहीं मिली है। क्रेमलिन ने लगातार कहा है कि जब तक उनकी शर्तें नहीं मानी जातीं, तब तक कोई बड़ा समझौता संभव नहीं है।

शांति प्रयासों का मौजूदा हाल

वर्तमान में, यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय प्रयास चल रहे हैं, लेकिन उनमें से कोई भी सीधे तौर पर ट्रंप से नहीं जुड़ा है। स्विट्जरलैंड जैसे देश शांति शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं, लेकिन रूस की अनुपस्थिति और प्रमुख मुद्दों पर असहमति के कारण अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।

निष्कर्ष यह है कि डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए किसी हालिया आधिकारिक "बहुत अच्छी बातचीत" का दावा भ्रामक और गलत है। यह वर्तमान भू-राजनीतिक सच्चाई को नहीं दर्शाता है।

  • एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने बतौर राष्ट्रपति रूस से यूक्रेन युद्ध पर बात की। यह दावा गलत है।
  • अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन हैं, ट्रंप नहीं।
  • क्रेमलिन ने पुष्टि की है कि हाल में कोई बड़ी शांति वार्ता नहीं हुई है और जमीन के मुद्दे पर गतिरोध जारी है।