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Up Kiran, Digital News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आप्रवासन नीतियां एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। इस बार यह विवाद दक्षिण अफ्रीका से आए श्वेत लोगों को विशेष प्राथमिकता देने और एशिया और लातिन अमेरिका के हजारों अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के फैसले से जुड़ा है।

ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका से आए श्वेत लोगों को न केवल एयरलिफ्ट किया बल्कि उन्हें नागरिकता देने का वादा भी किया। यह कदम नस्लीय भेदभाव के आरोपों को हवा दे रहा है क्योंकि इसी दौरान भारत ब्राजील बांग्लादेश और पाकिस्तान सहित कई देशों के हजारों प्रवासियों को निर्वासित किया गया है।

एशियाई और लातिन अमेरिकी प्रवासियों का निष्कासन

अमेरिकी सरकार ने "अवैध प्रवेश" के आधार पर हजारों एशियाई और लातिन अमेरिकी प्रवासियों को देश से निकाला है। इनमें बड़ी संख्या में भारतीय ब्राजीलियाई मैक्सिकन श्रीलंकाई पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिक शामिल हैं। इनमें से कई लोग एजेंट्स के झांसे में आकर बिना वैध दस्तावेजों के अमेरिका पहुंचे थे। ट्रंप प्रशासन ने इन लोगों के प्रति कोई मानवीय सहानुभूति नहीं दिखाई।

दक्षिण अफ्रीकी श्वेतों को प्राथमिकता क्यों

ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका से आए श्वेत लोगों को प्राथमिकता देते हुए कहा कि वे अपने देश में नस्लीय भेदभाव और हिंसा का शिकार हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इन लोगों को नौकरियों से वंचित किया जा रहा है उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं और उन्हें जान से मारा जा रहा है। ट्रंप ने इस वर्ग को "नरसंहार से पीड़ित अल्पसंख्यक" बताया और कहा कि अमेरिका हर सताए हुए व्यक्ति के लिए एक सुरक्षित स्थान है।

इस नीति के तहत सोमवार को 49 श्वेत अफ्रीकी नागरिक विशेष विमान से अमेरिका पहुंचे। इसके अलावा 8000 और लोगों ने अमेरिका में बसने की इच्छा जताई है।

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