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Up kiran,Digital Desk : यह किसी हॉलीवुड एक्शन फिल्म का सीन लग सकता है, लेकिन यह हकीकत है। प्रशांत महासागर की लहरों पर तेज़ी से जा रही एक छोटी सी नाव... और फिर अचानक एक ज़ोरदार धमाका... नाव आग के गोले में तब्दील हो जाती है और चारों तरफ चीख-पुकार मच जाती है।

यह अमेरिका का एक और हमला है, जिसे 'ड्रग्स के खिलाफ जंग' का नाम दिया जा रहा है। इस ताज़ा हमले में 4 और लोगों की मौत का दावा किया गया है, और इसी के साथ इस "जंग" में मरने वालों का आंकड़ा 87 तक पहुँच गया है।

कहानी में सबसे बड़ा और चौंकाने वाला मोड़

इस हमले ने पूरी दुनिया में बवाल इसलिए मचा दिया  क्योंकि यह ठीक उसी दिन हुआ, जब अमेरिकी संसद में पहले किए गए ऐसे ही एक हमले पर गरमागरम बहस चल रही थी। यानी एक तरफ अमेरिकी एडमिरल से सवाल-जवाब हो रहे थे, और दूसरी तरफ समंदर में अमेरिकी सेना फिर वही काम कर रही थी।

क्या बचे हुए लोगों को भी मारने का आदेश दिया गया था?

मामला और भी ज़्यादा गंभीर तब हो जाता है जब 2 सितंबर को हुए एक पुराने हमले की जांच रिपोर्ट सामने आती है। इस रिपोर्ट में एक सनसनीखेज दावा किया गया है:
"हमले के बाद जो लोग बच गए थे, उन्हें भी मारने के लिए एडमिरल फ्रैंक ब्रैडली ने दोबारा हमले का आदेश दिया था।"

कानूनी जानकारों का कहना है कि अगर यह सच है, तो यह सीधे-सीधे युद्ध के नियमों का उल्लंघन है और एक 'युद्ध अपराध' की श्रेणी में आ सकता 

अमेरिका का आरोप और वेनेजुएला का पलटवार

  • अमेरिका का आरोप: राष्ट्रपति ट्रंप लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि इन नावों के ज़रिए वेनेजुएला से अमेरिका में ड्रग्स की तस्करी हो रही है।
  • वेनेजुएला का पलटवार: वहीं, वेनेजुएला के राष्ट्रपति का कहना है कि यह 'ड्रग्स पर वॉर' सिर्फ एक बहाना है। असली मकसद सैन्य अभियान करके उनकी सरकार को गिराना है।

वेनेजुएला ने इन हमलों के बाद अपनी सेना को भी किसी भी संभावित हमले के लिए तैयार रहने को कह दिया  जिससे दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया