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बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में चल रही पीएचडी एडमिशन प्रक्रिया पर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने रोक लगा दी है।
UGC ने साफ शब्दों में कहा है कि BHU में पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में कुछ गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं, जिनकी जांच के लिए एक विशेष कमेटी गठित की जा रही है।

UGC ने क्यों लगाया BHU के एडमिशन पर ब्रेक?

UGC ने BHU को निर्देश दिया है कि वो 2024-25 शैक्षणिक सत्र के लिए पीएचडी एडमिशन से जुड़ी सभी गतिविधियों को फिलहाल स्थगित कर दे।
जब तक कमेटी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपती और यूजीसी की तरफ से कोई अंतिम फैसला नहीं आता, तब तक एडमिशन की प्रक्रिया पर पूर्ण रोक रहेगी।

UGC ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि:

पीएचडी एडमिशन में यूजीसी रेगुलेशन 2022 का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा था।

यूनिवर्सिटी में मिनिमम स्टैंडर्ड प्रक्रिया के उल्लंघन के संकेत मिले हैं।

क्या कहा UGC ने अपने नोटिस में?UGC की तरफ से जारी आधिकारिक नोटिस में लिखा गया है:

"यूनीवर्सिटीज को पीएचडी कोर्स में प्रवेश और डिग्री प्रदान करने के लिए UGC रेगुलेशन 2022 का पूरी तरह से पालन करना आवश्यक है। BHU में सामने आई विसंगतियों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया जा रहा है।"

छात्रों का एक महीने से चल रहा है विरोध

BHU में पीएचडी एडमिशन प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर पिछले एक महीने से छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।

अब तक यूनिवर्सिटी में 944 छात्रों को एडमिशन मिल चुका है, जबकि कुल 1,466 सीटें निर्धारित थीं।

छात्रों का आरोप है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रखी गई और कई योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया गया।

प्रवेश काउंटर बंद, अधिकारी दिल्ली तलब

UGC के आदेश के बाद BHU ने प्रवेश काउंटर तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार और रजिस्ट्रार प्रो. अरुण कुमार सिंह को UGC ने दिल्ली बुलाया है ताकि उनसे मामले में विस्तार से बातचीत की जा सके।

अब आगे क्या?

UGC द्वारा गठित जांच कमेटी BHU की पीएचडी एडमिशन प्रक्रिया की पूरी जांच करेगी।

रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि आगे की प्रक्रिया कैसे चलाई जाएगी।

यह भी संभव है कि पहले से एडमिशन पा चुके कुछ छात्रों की स्थिति पर भी पुनर्विचार किया जाए।

क्या छात्रों को चिंता करनी चाहिए?

फिलहाल यूनिवर्सिटी ने एडमिशन प्रक्रिया को रोकने का निर्णय लिया है, लेकिन यह स्थायी नहीं है।

यदि छात्र चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के शिकार हुए हैं, तो उनके लिए यह सकारात्मक संकेत हो सकता है।

यूजीसी की जांच के बाद निष्पक्ष फैसले की उम्मीद की जा रही है।

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