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Up Kiran, Digital Desk: यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के अपने फैसले को 90 दिनों के लिए टाल दिया है जो अमेरिकी व्यापार नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। ट्रंप ने ये घोषणा सोशल मीडिया पर की, जिसमें बताया कि अमेरिका-चीन टैरिफ की डेडलाइन अब 9 नवंबर तक बढ़ा दी गई है। इस निर्णय से कई विश्लेषकों को ये सवाल उठाने का मौका मिला है कि आखिरकार अमेरिका को चीन के साथ अपने व्यापार संबंधों को लेकर इतनी नरमी क्यों दिखानी पड़ी, वही वह पहले चीन पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए कई बार धमकी दे चुका था।

ट्रंप की मेहरबानी: क्या वजह है

अमेरिका का चीन पर ये "मेहरबानी" कोई बिना वजह नहीं है। आंकड़े और व्यापारिक परिस्थितियाँ साफ तौर पर दिखाती हैं कि अमेरिका और चीन के बीच एक मजबूत और अपरिहार्य व्यापारिक संबंध है, जिसे तोड़ने का मतलब अमेरिका के लिए भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही, अमेरिका की कंपनियों के विरोध की वजह से भी इस फैसले में बदलाव किया गया है।

अमेरिका की चीन पर निर्भरता: एक नजर आंकड़ों पर

अमेरिका की चीन पर निर्भरता कई मायनों में जरूरी है, खासकर व्यापार के लिहाज से। US Import Data के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका की सबसे बड़ी व्यापारिक साझेदारी तीन देशों के साथ है: मेक्सिको, चीन और कनाडा। ये स्पष्ट है कि चीन अमेरिका के लिए एक अहम व्यापारिक पार्टनर है और यहां तक कि अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता भी चीनी उत्पादों पर निर्भर है।

5 मुख्य कारण क्यों अमेरिका को चीन की जरूरत है

सस्ता श्रम और सस्ता सामान

चीन में श्रम की लागत बहुत कम है और इसकी विशाल आबादी के कारण कंपनियों को सस्ते श्रमिक मिलते हैं। इस सस्ते श्रम का फायदा उठाते हुए चीन दुनिया भर में सस्ते सामान का निर्यात करता है। अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए चीन से सस्ते सामान का आयात एक आर्थिक आवश्यकता बन गई है।

मजबूत मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन

चीन बड़े पैमाने पर उत्पादन करता है और उसका मजबूत बंदरगाह नेटवर्क अमेरिका के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच स्थिर व्यापारिक मार्ग और इन्फ्रास्ट्रक्चर का अस्तित्व इस निर्भरता को और बढ़ाता है।

अमेरिकी कंपनियों का निवेश

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार, चीन में अमेरिकी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है। हालांकि, हालिया टैरिफ विवाद के कारण ये कंपनियां अब चीन में अपने निवेश को लेकर सतर्क हो गई हैं। 2025 में US-China Business Council के सर्वेक्षण से पता चला कि केवल 48% अमेरिकी कंपनियां चीन में निवेश करने का विचार कर रही हैं, वही 2024 में यह आंकड़ा 80% तक था।

2001 में WTO में प्रवेश और बढ़ती निर्भरता

जब चीन 2001 में World Trade Organization (WTO) का हिस्सा बना, तब अमेरिकी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर अपनी उत्पादन प्रक्रिया चीन में शिफ्ट कर दी। इसके बाद दोनों देशों के व्यापारिक संबंध और भी गहरे हो गए, जिससे चीन पर अमेरिका की निर्भरता बढ़ी।

अमेरिकी नीति और चीन का व्यवस्थित व्यापार

चीन में फैक्ट्री, पार्ट सप्लाई और लॉजिस्टिक्स हब एक दूसरे के पास होते हैं, जिससे वहां के उत्पादन प्रक्रिया को बेहद सुलभ और कुशल बनाया जाता है। वहीं, अमेरिका में इन चीजों का वितरण अधिक जटिल है। इस वजह से अमेरिका कम कीमत वाले सामान के लिए चीन और मेक्सिको पर निर्भर रहता है।

अमेरिका और चीन का व्यापार; कौन क्या खरीदता है

अमेरिका चीन से ऐसे सामान आयात करता है जो सस्ते और उच्च मांग वाले होते हैं, जैसे इलेक्ट्रिकल मशीनरी, खिलौने, गेम कंसोल, फर्नीचर और प्लास्टिक। इसके अलावा अमेरिकी कंपनियां अन्य कंज्यूमर गुड्स भी चीन से मंगाती हैं।

दूसरी तरफ चीन ने 2024 में अमेरिका से मिनरल फ्यूल, ऑयल सीड्स, मशीनरी, एयरक्राफ्ट, सोयाबीन, क्रूड पेट्रोलियम और इलेक्ट्रिकल मशीनरी आयात किए हैं।

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