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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसके तहत डोनाल्ड ट्रंप के शिक्षा विभाग को छोटा करने या उसके कुछ फंड्स को राज्यों को आवंटित करने के प्रयासों को मंजूरी मिल गई है। 

यह ट्रंप के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है, क्योंकि उनका हमेशा से यह मानना रहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में राज्यों को अधिक अधिकार और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।

यह फैसला ट्रंप प्रशासन के उस कदम से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने संघीय शिक्षा विभाग (Federal Education Department) की शक्ति को कम करने और उसके बजाय स्कूल पसंद (School Choice) जैसे कार्यक्रमों के लिए राज्यों को फंड सीधे देने का प्रस्ताव रखा था। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ट्रंप प्रशासन के इस कदम को वैध ठहराया है, जिसका मतलब है कि अब इस तरह के बदलावों के लिए कानूनी रास्ता साफ हो गया है।

अमेरिकी शिक्षा विभाग का सालाना बजट करीब 80 अरब डॉलर का है, और इस फैसले का मतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप, अगर फिर से सत्ता में आते हैं, तो इस विभाग की कार्यप्रणाली और फंड के आवंटन में बड़े बदलाव कर सकते हैं। उनका तर्क रहा है कि संघीय स्तर पर केंद्रीकृत शिक्षा प्रणाली उतनी प्रभावी नहीं है जितनी राज्यों के अपने स्तर पर संचालित होने वाली प्रणालियां हो सकती हैं।

यह फैसला अमेरिकी राजनीति में शिक्षा नीति को लेकर चल रही दशकों पुरानी बहस को भी नया आयाम देता है, जिसमें संघीय सरकार की भूमिका बनाम राज्यों के अधिकारों पर अक्सर विवाद होता रहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय बताता है कि देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था ने भी इस मामले में ट्रंप के दृष्टिकोण को स्वीकार किया है, जिससे भविष्य में अमेरिकी शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलावों की संभावना बढ़ गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का जमीनी स्तर पर क्या असर पड़ता है।

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