
अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने वाली चीनी रिफाइनरी 'टीपोट रिफाइनरी' पर सख्त प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह फैसला अमेरिका और ईरान के बिगड़ते रिश्तों के बीच आया है और इसे ट्रंप प्रशासन की ईरान पर आर्थिक दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
अमेरिका का आरोप है कि यह रिफाइनरी 1 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का कच्चा तेल ईरान से खरीद चुकी है। अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने स्पष्ट किया है कि इससे होने वाली कमाई का इस्तेमाल ईरानी सरकार के संचालन और आतंकवादी संगठनों को समर्थन देने के लिए किया जाता है।
परमाणु कार्यक्रम को लेकर जारी है अमेरिका-ईरान बातचीत
यह कार्रवाई ऐसे समय पर हुई है जब अमेरिका और ईरान के बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वार्ताएं चल रही हैं। पहले दौर की बातचीत ओमान में हुई थी और अब अगला दौर इटली की राजधानी रोम में प्रस्तावित है।
हालांकि, इन बातचीतों को लेकर ईरान ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने कहा है कि वे यूरेनियम संवर्धन के अधिकार पर कोई समझौता नहीं करेंगे। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब पश्चिमी देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर गंभीर चिंता जता रहे हैं।
आतंकवादी संगठनों को समर्थन का आरोप
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि अमेरिका ने इससे पहले भी ईरानी तेल के शिपमेंट में शामिल दर्जनों जहाजों और व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की है। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में कोई भी रिफाइनरी, कंपनी या ब्रोकर जो ईरान से तेल खरीदेगा, उस पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
अमेरिका का यह भी आरोप है कि ईरानी प्रशासन तेल से होने वाली कमाई का उपयोग आतंकवादी नेटवर्क और प्रॉक्सी समूहों को सहायता देने में करता है। इसमें शामिल हैं:
हिजबुल्लाह (लेबनान)
हमास (गाजा)
हूती विद्रोही (यमन)
इन समूहों पर अंतरराष्ट्रीय नौवहन और क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने के आरोप लगते रहे हैं।