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Up Kiran, Digital Desk: देश की संसद के ऊपरी सदन में अब चार नए चेहरे नजर आएंगे, जो अपने-अपने क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए पहचाने जाते हैं। इनका मनोनयन भारतीय लोकतंत्र के उस पहलू को उजागर करता है, जिसमें विविधता और विशेषज्ञता को संसद के विमर्श में स्थान दिया जाता है। यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे न केवल सदन की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि आम जनता से जुड़े मुद्दों को विशेषज्ञ दृष्टिकोण से समझने और हल करने की संभावनाएं भी मजबूत होंगी।

आम लोगों से जुड़े चेहरे संसद में

नई नियुक्तियों में सबसे चर्चित नाम अधिवक्ता उज्ज्वल निकम का है। जनता के लिए न्याय की लड़ाई लड़ने वाले निकम, 1993 मुंबई बम धमाकों और 26/11 जैसे मामलों में अपनी सख्त दलीलों के लिए जाने जाते हैं। उनके अनुभव से यह उम्मीद की जा रही है कि कानून व्यवस्था से जुड़े मामलों पर वे सदन में मजबूत पक्ष रखेंगे।

केरल से आने वाले सी सदानंदन मस्ते, दशकों से समाज सेवा में लगे हैं। शिक्षा और सामाजिक सुधारों में उनका अनुभव ग्रामीण और पिछड़े वर्गों के मुद्दों को सामने लाने में मददगार हो सकता है। उनके जुड़ाव से नीतियों में जमीनी हकीकत की झलक मिलेगी।

पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का चयन अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पेचीदगियों को समझने और वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका को और मजबूती से पेश करने की दिशा में देखा जा रहा है। उनकी कूटनीतिक सूझबूझ राज्यसभा में विदेश नीति से जुड़े मामलों में नई जान फूंकेगी।

इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन का नाम शिक्षा और सांस्कृतिक विमर्श के लिहाज से खास मायने रखता है। ऐतिहासिक तथ्यों की गहराई से समझ रखने वाली डॉ. जैन, भारत के इतिहास और विरासत से जुड़े मुद्दों को नई दृष्टि से पेश कर सकती हैं।

संविधान के तहत हुआ चयन

इन सभी नियुक्तियों का आधार संविधान का अनुच्छेद 80(1)(क) और खंड (3) है, जो राष्ट्रपति को साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को राज्यसभा में नामित करने का अधिकार देता है। यह प्रक्रिया संसद में पेश की जाने वाली नीतियों को विशेषज्ञों की राय से समृद्ध करने की मंशा से जुड़ी है।

पूर्व सदस्यों की सेवानिवृत्ति से खुला रास्ता

ये नामांकन राज्यसभा की उन सीटों को भरने के लिए किए गए हैं जो पहले से मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति से रिक्त हो गई थीं। यह सुनिश्चित किया गया है कि सदन में विशेषज्ञता की निरंतरता बनी रहे और विविध क्षेत्रों के अनुभव संसद में शामिल हों।

नए चेहरों से नई उम्मीदें

इस ताजा नियुक्ति से यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार नीति निर्माण में विशेषज्ञता और विविध दृष्टिकोणों को अहमियत दे रही है। इन नए सदस्यों की मौजूदगी से न केवल संसद में बहसों का स्तर ऊंचा होगा, बल्कि आम नागरिकों की आकांक्षाओं को भी बेहतर प्रतिनिधित्व मिलेगा।

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