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उत्तर प्रदेश एवं अन्य स्थानों में चल रही कांवड़ यात्रा इस वर्ष कई विवादों में फँसी है। कुछ हिस्सों में यात्रियों को बेरोजगार, दंगाई, आतंकी कहे जाने जैसी गलत धारणाएँ फैल रही हैं। साथ ही ट्रिशूल, हॉकी स्टिक व अग्निशामक प्रतिबंध और नेताओं द्वारा कठोर बयान जागरूकता बनाम उकसावे के बीच संतुलन की ज़रूरत दिखा रहे हैं।

 

मुख्य बिंदु

1. राजनीति में तीखे आरोप-प्रत्यारोप


समाजवादी पार्टी के नेता एस.टी. हसन ने कांवड़ यात्रियों को “एक तरह के आतंकवादी” कहा, जिससे प्रदेश में माहौल गर्माया गया।
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया ट्रायल और ‘क्रिमिनल–टेररिस्ट’ जैसे लेखकियाँ ख़ारिज करते हुए आरोप लगाया कि कुछ लोग यात्रियों को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।


2. कानूनी सख्ती और प्रतिबंध


उत्तर प्रदेश पुलिस ने यात्रा मार्ग पर यात्रियों को ट्रिशूल, हॉकी स्टिक आदि लेकर चलने पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाया है।
साथ ही शांतिपूर्ण यात्रा के लिए CCTV और सोशल मीडिया निगरानी बढ़ाई गई—मुजफ्फरनगर में फेक पोस्टर फैलाने वालों पर केस दर्ज किया गया।


3. हिंसात्मक घटनाएँ और ‘भोले के चोर’ बयान


यात्रियों द्वारा सड़क मार्ग अवरुद्ध करने, वाहन तोड़ने-जोड़ने की घटनाएँ सामने आईं (जैसे CRPF जवान पर हमला) ।
इसके पीछे कुछ तत्वों ने भ्रम फैलाते हुए यात्रियों को ‘भोले के चोर’ कहकर गलत छवि प्रस्तुत की है।


4. यात्रा का सामाजिक-सांस्कृतिक पहलू


कांवड़ यात्रा ‘हर हर बम-बम’ के मंत्र के बीच समुदाय-अभाव या जाति-धर्म से ऊपर एकता का संदेश देती है ।
मुख्यमंत्री ने भी कहा कि यह हर वर्ग, जाति, क्षेत्र और वर्ग को जोड़ने वाली श्रद्धा है।

 

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