img

Up Kiran , Digital Desk: हैंडराइटिंग बच्चों की पढ़ाई का एक जरूरी हिस्सा है मगर अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। कई माता-पिता इस बात से परेशान रहते हैं कि उनके बच्चे की लिखावट इतनी खराब है कि टीचर भी पढ़ नहीं पाते — और नतीजा अकादमिक प्रदर्शन पर सीधा असर।

गर्मियों की छुट्टियां बच्चों के लिए न केवल मस्ती का वक्त होती हैं बल्कि इस दौरान कुछ बुनियादी आदतों में सुधार लाने का सुनहरा मौका भी होता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो खेल-खेल में अगर कुछ तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो बच्चों की हैंडराइटिंग में जबरदस्त बदलाव आ सकता है।

1. सही पोजिशन में बैठाना है पहला कदम

हैंडराइटिंग सुधारने के लिए सबसे जरूरी है कि बच्चा सही पोस्चर में बैठे। कुर्सी और टेबल का इस्तेमाल करें जिससे बच्चा झुककर या टेढ़े होकर न लिखे। गलत मुद्रा से न केवल लिखावट बिगड़ती है बल्कि उंगलियों और कलाई पर अनावश्यक दबाव पड़ता है जो लंबे समय में नुकसानदायक हो सकता है।

2. पेंसिल और कागज़ के साथ एक्सपेरिमेंट

बच्चों को कागज़ और पेंसिल दें मगर पहले से लिखने के लिए बाध्य न करें। उन्हें कहें कि वे गोल लकीरें आकृतियाँ या जो मन में आए वो बनाएँ। इससे उनकी अंगुलियों की पकड़ (ग्रिप) मज़बूत होती है और धीरे-धीरे वे लेखन में सहज महसूस करते हैं।

3. “गोला बनाओ” एक्सरसाइज से आता है फ्लो

कैलिग्राफी एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि बच्चे को एक पेपर पर आयताकार बॉक्स बनाकर दें जिसे बीच से तिरछी लाइनों में ट्रायंगल शेप में बाँटा गया हो। अब उसे कहें कि वह दो लाइनों के बीच लगातार समान आकार के गोले बनाए। यह गतिविधि जितनी सरल लगती है उतनी ही फोकस और मोटर स्किल्स के लिए फायदेमंद है।

4. भूल-भुलैया और मेज़ गेम्स से मज़बूत होता है नियंत्रण

पेंसिल कंट्रोल और हाथ-आँख के समन्वय को बेहतर करने के लिए बच्चों को पुराने समय के भूलभुलैया वाले पेपर गेम्स दें। ये न केवल मज़ेदार होते हैं बल्कि बच्चों को पेंसिल को सही ढंग से पकड़ने और उसे नियंत्रित करने का अभ्यास भी देते हैं।

5. बड़े सरफेस पर लेखन से बनती है आत्मविश्वास की नींव

छोटे बच्चों को शुरू में छोटे कागजों पर लिखवाने के बजाय बड़े सर्फेस जैसे व्हाइटबोर्ड सैंड ट्रे या दीवार पर चिपकाए गए ब्लैकबोर्ड स्टिकर्स पर लिखवाएं। बड़े अक्षरों से शुरुआत करने पर बच्चों में कॉन्फिडेंस और लेटर शेप की समझ दोनों बढ़ती है।

--Advertisement--