Uttarakhand News: उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले का सोनधार गांव एक कठिन जीवनशैली का उदाहरण बनकर उभरा है। यहां के बीस वर्षीय अजीत की कहानी किसी साहसिक यात्रा से कम नहीं है। जब से उन्होंने होश संभाला है, उनका सफर सिर्फ एक ट्रॉली के सहारे नदी पार करने पर निर्भर रहा है।
ये ट्रॉली, जो एक रोपवे और रस्सी के सहारे चलती है, इस गांव के सैकड़ों लोगों की जीवनरेखा है, और यही स्थिति आस-पास के 69 गांवों की भी है।
राजधानी दून एवं टिहरी गढ़वाल जनपद की सरहद के पास बसे इन गांवों में, सोंग नदी पार करने के लिए रोप वे ही एकमात्र विकल्प है। बारिश के मौसम में, जब नदी का पानी उफान पर होता है, तब यहां के निवासियों का बाकी दुनिया से संपर्क लगभग पूरी तरह कट जाता है। रोपवे का निर्माण सरकार ने 15 साल पहले अस्थायी तौर पर किया था, लेकिन आज भी यही एकमात्र साधन है, जिसे लेकर गांववालों की चिंताएं कम नहीं हुई हैं।
गांव के एक निवासी ने बताया कि मानसून के दौरान स्थिति और भी भयानक हो जाती है। ट्रॉली के अलावा बारिश की वजह से 15-20 किलोमीटर लंबा ट्रैक जानलेवा हो जाता है। इसके साथ ही, यहां जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है, जो कभी-कभी इंसानों पर हमला कर देते हैं। ऐसे में, बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए बड़े लोगों को उनके साथ जाना पड़ता है।
स्कूल से लेकर अस्पताल तक आने जाने में बहुत कठिनाई होती है।
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