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उत्तराखंड की हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में सोशल मीडिया के चर्चित शख्सियतों‑बन चुके कई YouTube व्लॉगर और स्थानीय क्रिएटर्स ने उम्मीद के अनुसार सफलता नहीं पाई। कुछ को केवल 50 वोट मिले, कुछ को 500 से भी अधिक संख्या नहीं मिली। वहीं, युवा उम्मीदवार और लोक‑मंच पर भरोसेमंद, समुदाय‑आधारित चेहरे आसानी से जीत गए, जिससे साफ़ हुआ कि वोटर अब ब्रांडेड कंटेंट से ज़्यादा स्थानीय जुड़ाव और भरोसे को महत्व दे रहे हैं।

इन चुनावों में टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, कई सीटों पर मतों की बराबरी, टॉस या लकी ड्रॉ से परिणाम तय किए गए  । उदा. चमोली और अल्मोड़ा जैसे जिलों में प्रतियोगिता इतनी करीबी थी कि निर्णय टॉस या ड्रा से लिया गया। जिन YouTubers को वोट मिले, उनका नाम समाचार पत्रों में प्रमुखता से नहीं आया, लेकिन उनके संदेशों से स्पष्ट है कि सोशल‑मीं व्यूअरशिप और वोटर विश्वास में बड़ा फ़र्क है।

युवा उम्मीदवार Priyanka Negi (21) और Sakshi (22) ने जीत हासिल की है, जबकि Lakshman Kumar ‘Lachhu Pahाड़ी’, जिनकी ऊँचाई तीन‑से‑ढाई फीट के आसपास है, मूर्त और सजीव लोक‑संस्कृति के साथ चुनावी जीत के प्रतीक बने  । उन्होंने लोक लोकल जुड़ाव और फ़ोक प्रदर्शन के ज़रिए वोटर तक पहुंच बनाई।

इसके साथ ही, चुनाव अभियान में धेरै YouTubers और व्लॉगरों को यह संदेश मिला कि सोशल मीडिया की लोकप्रियता को सीधे वोट में बदलना अब इतना आसान नहीं रहा। चुनावी मैदान में भरोसे, लोक‑सम्मान और स्थानीय जरूरतों की बैसिक समझ ही निर्णायक रही।

समापन में कहना चाहेंगे: 2025 के उत्तराखंड पंचायत चुनाव ने यह सिद्ध कर दिया कि सोशल मीडिया फेम के बिना जीतना मुश्किल है — लेकिन उससे भी ज़रूरी है जनता का विश्वास, स्थानीय संवाद और जमीनी जुड़ाव।

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