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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड में आगामी वर्ष से मदरसा बोर्ड को समाप्त कर दिया जाएगा और अब सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को एक नए ढांचे में लाने का प्रस्ताव किया गया है। इस दिशा में राज्य सरकार ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम विधेयक को विधानसभा में पेश कर दिया है, जिसका उद्देश्य न केवल मदरसा शिक्षा बल्कि सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को भी एक समान मान्यता देने का है।

यह कदम उत्तराखंड को देश का पहला राज्य बना रहा है, जो इन विभिन्न धार्मिक समुदायों के शैक्षणिक संस्थानों को एक छतरी के नीचे लाएगा। इस अधिनियम के अंतर्गत एक नया प्राधिकरण बनेगा, जो इन संस्थानों को मान्यता देने का काम करेगा। इस कदम से, राज्य में शिक्षा के मानक और उसकी निगरानी और भी सशक्त हो जाएगी।

पहले केवल मुस्लिम समुदाय के शैक्षणिक संस्थानों को ही मान्यता प्राप्त होती थी, लेकिन अब यह सुविधा सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदायों को भी मिलेगी। इसके साथ ही मदरसा शिक्षा बोर्ड की जगह एक नया प्राधिकरण गठित किया जाएगा, जो इन संस्थानों को उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड के मानकों के अनुसार संचालित करने की अनुमति देगा। हालांकि, इन संस्थानों में धार्मिक शिक्षा पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन उनका पाठ्यक्रम राज्य के शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करेगा।

इसके साथ ही, उत्तराखंड में जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन पर नियंत्रण रखने के लिए राज्य सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध संशोधन विधेयक भी सदन में पेश किया है। इस नए विधेयक के तहत, यदि किसी व्यक्ति ने जबरन धर्म परिवर्तन कराया या किया, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

 

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