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Up Kiran, Digital Desk: 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र के तौर पर देखना है तो देश की आधी आबादी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता — यह संदेश उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने केंद्र सरकार को स्पष्ट रूप से दिया है। उन्होंने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में महिला और बाल विकास के लिए एक व्यावहारिक और साहसिक प्रस्ताव रखा, जिसमें महिलाओं की कार्यबल में हिस्सेदारी 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया।
आंगनबाड़ी बनेगा डे बोर्डिंग स्कूल, बदलेगा बच्चों का भविष्य
बैठक में मंत्री आर्या ने आंगनबाड़ी केंद्रों को सिर्फ एक पोषण वितरण केंद्र मानने के बजाय उन्हें डे बोर्डिंग स्कूल के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया। इससे बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा और पोषण दोनों पर एक साथ बेहतर ध्यान दिया जा सकेगा।
साथ ही, उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति सुधारने के लिए ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने की मांग की। इससे यह तय किया जा सकेगा कि किन केंद्रों में सुधार की सबसे ज्यादा जरूरत है।
बजट का बड़ा हिस्सा महिलाओं और बच्चों के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव
मंत्री ने स्थानीय निकायों को दिए जाने वाले बजट का कम से कम 10 फीसदी हिस्सा महिला और बाल विकास के लिए आरक्षित करने की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि गर्भवती महिलाओं की देखभाल और 6 साल तक के बच्चों के पोषण पर गंभीरता से ध्यान देना होगा, और इसके लिए नियमित रिसर्च और सोशल ऑडिट को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
हर जिले तक पहुंचेगी किशोरी बालिका परियोजना
राज्य सरकार चाहती है कि किशोरी बालिका योजना को हर जिले तक विस्तार दिया जाए। इससे किशोरियों को ना सिर्फ स्वावलंबी बनने का मौका मिलेगा, बल्कि उन्हें शिक्षा और कौशल विकास में भी नई दिशा मिलेगी। इसी क्रम में तकनीकी स्किल्स आधारित ट्रेनिंग को जरूरी बताते हुए उन्होंने वर्कफोर्स की क्वालिटी सुधारने पर जोर दिया।
बड़ी योजनाओं में बड़े बदलाव: ये हैं उत्तराखंड के ठोस सुझाव
बैठक में उत्तराखंड सरकार ने कई व्यावहारिक सुझाव भी केंद्र के सामने रखे, जैसे:
आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत के लिए बजट 3,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपए करने की मांग।
मनरेगा फंड का 80% हिस्सा सामग्री और 20% मजदूरी पर खर्च करने का प्रस्ताव।
टेक होम राशन स्कीम में फेस रीडिंग सिस्टम के साथ OTP की सुविधा जोड़ने की सिफारिश।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के पोर्टल को यूजर फ्रेंडली बनाने की जरूरत।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत छात्रवृत्ति और वोकेशनल ट्रेनिंग की सुविधा।
वन स्टॉप सेंटर पर महिलाओं के लिए तत्काल सहायता हेतु कम से कम दो वाहन उपलब्ध कराने की मांग।
स्पॉन्सरशिप योजना में पात्र लाभार्थियों की संख्या सीमित रखने और कर्मचारियों के मानदेय में हर साल बढ़ोतरी का सुझाव।