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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) को लेकर आम लोगों में संशय और आशंका का माहौल बनता जा रहा है। प्रवासी मजदूरों, दस्तावेज़ों से वंचित नागरिकों और दूरदराज़ इलाकों में रहने वाले मतदाताओं में यह डर गहराता जा रहा है कि कहीं उनका नाम मतदाता सूची से गायब न हो जाए।
इस मुद्दे पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के नेता और एनडीए सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने चुनाव आयोग की तैयारियों और प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी वैध मतदाता को बाहर न किया जाए, चाहे वह प्रवासी हो या दस्तावेज़ों के अभाव में रह रहा कोई स्थानीय नागरिक।
कुशवाहा ने कहा कि बिहार से भारी तादाद में लोग रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं, मगर उनका वोट यहीं है। ऐसे में जब वे राज्य से बाहर हैं और दस्तावेज़ अपडेट नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें सूची से हटाए जाने की आशंका होती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कई स्थानीय लोगों के पास आयोग द्वारा मांगे गए दस्तावेज़ नहीं हैं, जिससे वे घबराए हुए हैं।
आरएलएम प्रमुख का मानना है कि इस प्रक्रिया को जल्दबाज़ी में शुरू करने के बजाय आयोग को जनसंख्या की जटिलता को देखते हुए इसे और पहले आरंभ करना चाहिए था। उन्होंने दो टूक कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है, मगर इस बार जो तरीके अपनाए जा रहे हैं, उनसे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
विपक्षी दल पहले ही इस प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग से बातचीत कर चुके हैं, मगर कुशवाहा की अगुवाई वाली आरएलएम पहली एनडीए घटक है जिसने खुलकर चिंता जताई है। इससे साफ है कि यह सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि आम जनता की सहभागिता और अधिकारों से जुड़ा मामला बन चुका है।
आरएलएम ने ये भी ऐलान किया है कि वे इस मुद्दे पर लोगों के बीच जाकर जागरूकता फैलाएंगे और उन्हें यह जानकारी देंगे कि जरूरी दस्तावेज़ों के बिना भी वे पंचायत या वार्ड स्तर से प्रमाणपत्र लेकर अपना नाम सूची में दर्ज करा सकते हैं। कुशवाहा ने बताया कि उनकी पार्टी जल्द ही चुनाव आयोग से भी औपचारिक बातचीत करेगी।
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