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Up Kiran, Digital Desk: बिहार में चल रहे विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के बीच राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मतदाता धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए पूरे देश के मतदाताओं के हित में अपनी निष्पक्षता पर जोर दिया है। इस विवाद ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा पर नई बहस छेड़ दी है, जिसमें आम जनता की भूमिका और उनके अधिकार सबसे अहम बने हुए हैं।
मतदाता अधिकार यात्रा और राजनीतिक आरोपों का प्रभाव
राहुल गांधी ने हाल ही में बिहार के सासाराम से अपनी 'मतदाता अधिकार यात्रा' शुरू की, जिसका मकसद मतदाता सूची में पाई जा रही गलतियों को जनता तक पहुंचाना और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह यात्रा लगभग 1300 किलोमीटर की है, जो 25 जिलों से गुजरते हुए 16 दिनों के बाद पटना के गांधी मैदान में एक बड़े कार्यक्रम के साथ समाप्त होगी। यात्रा में राजद नेता तेजस्वी यादव भी राहुल गांधी के साथ शामिल हैं। इस अभियान ने स्थानीय मतदाताओं के बीच जागरूकता तो बढ़ाई है, लेकिन राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी बढ़ गए हैं।
चुनाव आयोग का जवाब: निष्पक्षता की कड़ी सुरक्षा
चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने साफ किया है कि आयोग सभी राजनीतिक दलों के प्रति समान रहता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत का संविधान हर 18 वर्ष से ऊपर के नागरिक को वोटर बनाने का अधिकार देता है, और इस प्रक्रिया में किसी भी पार्टी के साथ पक्षपात नहीं किया जाता। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में चल रहे मतदाता सूची सुधार कार्य में लगभग 1.6 लाख बूथ स्तर के एजेंट (BLAs) विभिन्न दलों के सहयोग से काम कर रहे हैं, ताकि मतदाता सूची में त्रुटियों को दूर किया जा सके।
पारदर्शिता और सहभागिता की दिशा में कदम
चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया की पूरी पारदर्शिता पर जोर दिया है। आयोग ने बताया कि सभी संबंधित पक्षों के साथ मतदाता सूची के प्रारूप को साझा किया गया है और सभी राजनीतिक दलों से हस्ताक्षर और पुष्टि प्राप्त की जा रही है। आयोग ने यह भी चिंता जताई है कि कहीं-कहीं स्तरों पर दस्तावेज राष्ट्रीय नेताओं तक नहीं पहुंच पा रहे, जिससे गलतफहमियां फैल रही हैं। इस संदर्भ में आयोग ने सभी दलों से आग्रह किया है कि वे मिलकर इस प्रक्रिया को सफल बनाएं।
डबल वोटिंग के आरोपों का चुनाव आयोग ने दिया खंडन
हाल ही में मीडिया में दोहरी वोटिंग के आरोप भी सामने आए थे, जिन्हें आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया है। आयोग ने कहा कि जब उनसे सबूत मांगे गए तो कोई भी ठोस प्रमाण नहीं दिया गया। इसके अलावा, 10 लाख से अधिक बूथ स्तर के एजेंट और लाखों मतदान एजेंटों के सहयोग से चल रही इस प्रक्रिया में ऐसे आरोप लगाना निराधार है।
मतदाता गोपनीयता और चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा
चुनाव आयोग ने मतदाताओं की निजता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। आयोग ने विशेष रूप से मीडिया द्वारा बिना अनुमति के मतदाता तस्वीरों के इस्तेमाल की आलोचना की है और कहा कि इससे मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन होता है। साथ ही, आयोग ने चेतावनी दी है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डीपफेक तकनीकों का गलत इस्तेमाल चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है।
विदेशी मतदाताओं को सूची से हटाने की प्रक्रिया जारी
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी पुष्टि की कि पुनरीक्षण के दौरान गैर-भारतीय नागरिकों को मतदाता सूची से हटाया जाएगा। इसमें बांग्लादेशी और नेपाली नागरिक भी शामिल हैं। इस तरह के पुनरीक्षण पहले भी देश के 10 से अधिक राज्यों में सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। बिहार में यह प्रक्रिया सितंबर के पहले सप्ताह तक पूरी होने की उम्मीद है।
पश्चिम बंगाल में SIR की तिथि जल्द होगी घोषित
जहां बिहार में प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है, वहीं पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची संशोधन की तारीख अभी तय नहीं हुई है। आयोग ने बताया कि इस मामले में तीनों चुनाव आयुक्त जल्द ही निर्णय लेंगे और समय आने पर तारीखों की घोषणा करेंगे।
राजनीतिक दलों को सहयोग का आह्वान
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें और यदि कोई आपत्तियां या सुझाव हों तो वे 1 सितंबर तक प्रस्तुत करें। आयोग ने यह सुनिश्चित करने का भरोसा दिया है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता बनी रहे।
लोकतंत्र के संरक्षक के रूप में चुनाव आयोग का संकल्प
मुख्य चुनाव आयुक्त ने अंत में कहा कि चुनाव आयोग देश के हर मतदाता के अधिकारों का सशक्त रक्षक है, चाहे वे गरीब हों, बुजुर्ग हों, महिला हों, युवा हों या किसी भी समाज और धर्म के हों। आयोग बिना किसी भय या पक्षपात के लोकतंत्र की रक्षा जारी रखेगा।
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