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आठ अप्रैल से मोदी सरकार द्वारा वक्फ संशोधन कानून को पूरे देश में लागू कर दिया गया है। संसद से पारित और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून अब विधिवत प्रभाव में आ गया है। मगर इस बीच पश्चिम बंगाल की चीफ मिनिस्टर ममता बनर्जी का बयान सुर्खियों में है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ये कानून उनके राज्य में लागू नहीं होगा। साथ ही उन्होंने अल्पसंख्यकों की संपत्ति की सुरक्षा का दावा भी किया है।

जानें क्या कहता है संविधान

संविधान के अनुच्छेद 256 के तहत ये साफ साफ लिखा है कि संसद द्वारा पारित किसी भी कानून को देश के सभी राज्यों में लागू करना राज्य सरकारों का संवैधानिक कर्तव्य है। यानी किसी भी राज्य को यह अधिकार नहीं है कि वह संसद द्वारा बनाए गए कानून को लागू करने से मना कर दे।

कानून विशेषज्ञों का मानना है कि ममता बनर्जी का यह बयान केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि यदि कोई नागरिक इस कानून के तहत शिकायत दर्ज कराना चाहता है, तो राज्य की पुलिस को उसे मानना ही होगा। उनके अनुसार, "कोई राज्य सरकार ऐसा दावा नहीं कर सकती कि संसद द्वारा पारित कानून उसके यहां लागू नहीं होगा।"

सीएए के वक्त भी कुछ ऐसा ही हुआ था

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के समय भी कुछ राज्यों ने विरोध जताया था, मगर कानून देशभर में लागू हुआ।

संविधान में कानून की वैधता को चुनौती देने का एकमात्र रास्ता न्यायपालिका है। यानी अगर किसी राज्य को किसी कानून पर आपत्ति है, तो वह सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में जाकर उसकी संवैधानिकता को चुनौती दे सकता है, मगर इसे लागू करने से इनकार करना संविधान का उल्लंघन माना जाएगा।

बता दें कि सीएम ममता बनर्जी के बयान को उनके समर्थक अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा के रूप में देख रहे हैं। तो वहीं आलोचकों का मानना है कि ये मुस्लिमों के वोट बैंक को ध्यान में रखकर दिया गया राजनीतिक बयान है।

 

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