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Up Kiran, Digital Desk:शहरी क्षेत्रों में पीने के पानी की आपूर्ति को बेहतर बनाने और उसकी चुनौतियों से निपटने के लिए, केंद्र सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने अब शहरी जल आपूर्ति के प्रबंधन की जिम्मेदारी निजी ऑपरेटरों को सौंपने का आह्वान किया है। मंत्रालय का मानना है कि यह कदम न केवल सेवाओं में सुधार लाएगा, बल्कि आर्थिक रूप से भी इस क्षेत्र को टिकाऊ बनाएगा।

मंत्रालय का मानना है कि मौजूदा सरकारी तंत्र में कई खामियां हैं – जैसे सेवाओं का पर्याप्त न होना, पानी की गुणवत्ता का हमेशा संतोषजनक न रहना, पानी का बड़े पैमाने पर बर्बाद होना (जिसे नॉन-रेवेन्यू वाटर या NRW कहते हैं), और सरकारी एजेंसियों का कम कुशल संचालन। इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए, सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को बढ़ावा दे रही है। यह मॉडल दुनियाभर में अपनी दक्षता बढ़ाने, पानी की बर्बादी कम करने और निजी निवेश को आकर्षित करने में सफल साबित हुआ है।

मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि PPP मॉडल से पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा, शहरों में 24 घंटे पानी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी, पानी का दबाव भी बेहतर होगा और सभी शहरी निवासियों, खासकर उन इलाकों में जहाँ अभी पानी की कमी है, वहाँ भी बराबर पानी पहुँचेगा।

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन परियोजनाओं की सफलता के लिए एक मजबूत नियामक ढाँचा, पारदर्शी अनुबंध और स्थानीय समुदायों की भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण होगी। यह कदम भारत में शहरी जल प्रबंधन में एक बड़ा बदलाव लाने का लक्ष्य रखता है, जिससे यह प्रणाली अधिक टिकाऊ और लचीली बन सके। अब देखना यह है कि यह नई पहल पानी की किल्लत से जूझ रहे शहरों के लिए कितनी कारगर साबित होती है।

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