img

Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक की विधानसभा में पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण समिति ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चिंता जताते हुए एक गंभीर रिपोर्ट पेश की है। समिति के अध्यक्ष और विधायक ए.आर. कृष्णमूर्ति ने शुक्रवार को सदन में यह रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में करोड़ों रुपये की सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जैसी महंगी जांच मशीनें होते हुए भी उनका सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।

मशीनें हैं, पर सुविधा नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य भर के सरकारी अस्पतालों में लाखों-करोड़ों की डायग्नोस्टिक मशीनें लगी हैं, लेकिन मरीजों को इन सुविधाओं का लाभ देने के बजाय उन्हें निजी लैबोरेटरी में भेज दिया जा रहा है। विधायक कृष्णमूर्ति ने कहा, “जब हमारे पास ऐसी बेहतरीन मशीनें हैं, तो मरीजों को निजी लैब्स में क्यों भेजा जा रहा है? इससे गरीब परिवारों को अनावश्यक परेशानी और आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है।”

बैल्लारी मामले में कार्रवाई में भारी देरी

समिति ने बैल्लारी के एक मैटरनिटी अस्पताल में दवाओं की खराबी के कारण हुई महिलाओं की मौतों के मामले में भी कार्रवाई में देरी पर कड़ी आपत्ति जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इतनी दुखद घटना के बावजूद, जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारी केवल 13 दवाओं के सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जो कि बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। समिति ने इस देरी को चिंताजनक बताया है।

ब्लैकलिस्टेड सप्लायर को फिर मिला ठेका!

इसके अलावा, समिति ने सरकार की उस नीति की भी कड़ी आलोचना की है, जिसके तहत उन सप्लायर्स को फिर से टेंडर दिए जा रहे हैं जिन्हें पहले ही ब्लैकलिस्ट किया जा चुका था। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एक बार किसी सप्लायर को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है, तो उसे दोबारा कोई भी ठेका नहीं मिलना चाहिए। इस तरह की लापरवाही सीधे तौर पर मरीजों की सुरक्षा से खिलवाड़ है।

--Advertisement--