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जब हम रेलगाड़ी से सफर करना चाहते हैं तो हमें ट्रेन पकड़ने के लिए किसी स्टेशन पर जाना पड़ता है। मगर हर स्टेशन के नाम के पीछे कोई न कोई मतलब छिपा होता है। 

सेंट्रल, जंक्शन या टर्मिनल की तरह। उनका एक अलग मकसद है। आज हम आपको रेलवे स्टेशन के नाम से जुड़े कुछ फैक्ट्स बताने जा रहे हैं। इंडियन रेलवे का नेटवर्क 65 हजार किमी से ज्यादा का है। हमारे देश में रेलवे स्टेशनों की कुल संख्या लगभग 7349 है। हम आपको सेंट्रल, जंक्शन और टर्मिनल के बीच सटीक अंतर बताने जा रहे हैं।

सेंट्रल रेलवे

जब आपकी ट्रेन सेंट्रल स्टेशन पर रुकती है, तो कल्पना कीजिए कि यह स्टेशन शहर का एक अहम व पुराना स्टेशन है। यहां एक साथ कई रेलगाड़ी आ रही हैं। सेंट्रल स्टेशन आमतौर पर उन शहरों में बनाए जाते हैं जहां अन्य रेलवे स्टेशन होते हैं। प्रमुख केंद्रीय स्टेशन मुंबई सेंट्रल, कानपुर सेंट्रल, चेन्नई सेंट्रल आदि हैं। बड़े शहर सेंट्रल स्टेशन के जरिए ही एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।

रेलवे टर्मिनल

टर्मिनल और टर्मिनस में कोई अंतर नहीं है। टर्मिनल का मतलब होता है आखिरी स्टेशन। यानी यह ट्रेन के उस रूट का आखिरी स्टेशन है। ट्रेन इस स्टेशन से आगे नहीं जाती है। इसलिए इसे टर्मिनल कहा जाता है। टर्मिनल टर्मिनेशन शब्द से लिया गया है। यानी समाप्त। इसके उदाहरण- आनंद विहार टर्मिनल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनल आदि हैं।

रेलवे जंक्शन

यदि किसी स्टेशन का नाम जंक्शन कहा जाए तो समझ लीजिए कि इस जगह से और भी ट्रेन रूट हैं। इसका मतलब है कि यहां कम से कम दो ट्रेनें आ सकती हैं। मथुरा सबसे अधिक रूटेड जंक्शन है। इस स्थान से सात मार्ग गुजरते हैं। सलेम जंक्शन से छह रूट गुजरते हैं। बरेली और विजयवाड़ा जंक्शन से पांच-पांच रूट गुजरते हैं।

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