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Up Kiran, Digital Desk:भक्ति और आध्यात्मिकता के पावन अवसर पर, तिरुपति बालाजी मंदिर के उत्सव मूर्ति श्री मलियप्प स्वामी ने अपने संगियों श्रीदेवी और भूदेवी के साथ श्री विकहानसा महर्षि सान्निधि के दर्शन किए। यह महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन रविवार (10 अगस्त 2025) की शाम को तिरुमाला की उत्तर माडा स्ट्रीट पर स्थित इस प्राचीन सान्निधि (मंदिर) में संपन्न हुआ। इस अवसर पर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के वरिष्ठ अधिकारी और पुरोहित भी उपस्थित रहे। यह परंपरा श्रावण पूर्णिमा के अगले दिन निभाई जाती है, जब मलियप्प स्वामी विशेष रूप से विकहानसा महर्षि के सान्निधि में पधारते हैं।

मलियप्प स्वामी: तिरुपति के उत्सव मूर्ति
मलियप्प स्वामी, तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर के उत्सव मूर्ति (procession deity) हैं। उन्हें मुख्य देवता (ध्रुव बेराम) का एक प्रतिरूप माना जाता है और उनका उपयोग उन धार्मिक समारोहों और जुलूसों में किया जाता है जहां मुख्य देवता को ले जाना संभव नहीं होता। यह माना जाता है कि मलियप्प स्वामी की मूर्ति में मूल मूर्ति का ही तेज समाहित है। यह मूर्ति 1339 ईस्वी में स्वयंभू (स्वयं प्रकट) रूप में पाई गई थी। उनका नाम 'मलै-कुनिया-निनरा-पेरुमल' से आया है, जिसका अर्थ है ‘पहाड़ जो उनके सामने झुक गया’।

विकहानसा आगम और महर्षि विकहानसा
विकहानसा परंपरा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण सम्प्रदाय है जो भगवान विष्णु की पूजा पर केंद्रित है। इस परंपरा का नाम इसके संस्थापक ऋषि विकहानसा के नाम पर पड़ा है, जिन्हें स्वयं भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है। ऋषि विकहानसा ने वेदों और शास्त्रों का अध्ययन किया और विष्णु की पूजा के तरीके सिखाए। उनके द्वारा रचित श्री विकहानसा भगवद शास्त्र में मंदिर की मूर्तियों की पूजा और भक्ति सेवा के विस्तृत नियम वर्णित हैं। तिरुमाला मंदिर में भी दैनिक पूजा, सेवाएँ और उत्सव विकहानसा आगम के अनुसार ही होते हैं।

यह यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है? श्रावण पूर्णिमा के अगले दिन मलियप्प स्वामी का श्री विकहानसा महर्षि सान्निधि में जाना एक विशेष परंपरा है। यह दर्शाता है कि कैसे मंदिर की दैनिक पूजा-अर्चना और उत्सवों के लिए विकहानसा आगम का पालन किया जाता है, जिसकी रचना ऋषि विकहानसा ने की थी। इस तरह की यात्राएँ भक्तों को धार्मिक परंपराओं और आध्यात्मिक महत्व से जोड़ती हैं, साथ ही तिरुपति मंदिर के धार्मिक अनुष्ठानों की गहराई को भी उजागर करती हैं। इस कार्यक्रम में टीटीडी के वरिष्ठ अधिकारी और ट्रस्ट के सचिव भी उपस्थित रहे[

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