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हम सबने कभी न कभी सड़क किनारे किसी दुकान पर गर्मागर्म समोसे, पकौड़े या छोले-भटूरे जरूर खाए हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस तेल में ये सब तला जा रहा है, वह आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है? इसी गंभीर मुद्दे पर अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सख्त रुख अपनाया है।

NHRC ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को नोटिस जारी कर देश भर में बार-बार खाना पकाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग का मानना है कि यह प्रथा लोगों के 'जीवन के अधिकार' और स्वास्थ्य का गंभीर उल्लंघन है।

क्यों है यह 'धीमा जहर'?जब खाना पकाने के तेल को बार-बार बहुत तेज तापमान पर गर्म किया जाता है, तो उसमें 'टोटल पोलर कंपाउंड्स' (TPC) नाम के जहरीले पदार्थ बनने लगते हैं। ये पदार्थ हमारे शरीर के लिए धीमे जहर की तरह काम करते हैं और इनसे:

कैंसर

हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियां

अल्जाइमर और लिवर से जुड़ी समस्याएं

जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

क्या कहते नियम?ऐसा नहीं  इसे लेकर कोई नियम नहीं है। FSSAI के नियमों के अनुसार, किसी भी तेल में TPC की मात्रा 25% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर यह सीमा पार हो जाती , तो वह तेल खाने के लिए सुरक्षित नहीं रहता। सरकार ने 'RUCO' (Repurposed Used Cooking Oil) नाम से एक पहल भी शुरू की है, जिसके तहत इस्तेमाल किए हुए तेल को इकट्ठा करके उससे बायो-डीजल बनाया जाना चाहिए।

लेकिन सच्चाई यह ज्यादातर रेस्टोरेंट, ढाबों और खासकर स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को इन नियमों की या तो जानकारी नहीं है, या वे मुनाफा कमाने के चक्कर में इन्हें नजरअंदाज कर देते । वे एक ही तेल को दिन भर, और कई बार तो कई-कई दिनों तक इस्तेमाल करते रहते ।

NHRC ने FSSAI से 4 हफ्तों के भीतर जवाब मांगा। आयोग FSSAI ने इस खतरनाक प्रथा को रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए हैं और उनकी भविष्य की क्या योजना है। यह कदम उम्मीद जगाता है कि जल्द ही हमारी सेहत से हो रहे इस खिलवाड़ पर कोई ठोस कार्रवाई होगी।