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Up Kiran, Digital Desk: पहलगाम में तीर्थयात्रियों पर हुए दहशतगर्दी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकियों को उन्हीं की ज़मीन पर जाकर सबक सिखाया। लेकिन इस ऑपरेशन के बाद भारत के सामने एक और चुनौती खड़ी हो गई घरेलू जासूसी नेटवर्क।

हाल ही में एक यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा पर पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी देने के इल्जाम लगे थे। और अब, सीआरपीएफ (CRPF) के जवान मोती राम जाट को जासूसी के आरोप में अरेस्ट किया गया है। इसने सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों को ही नहीं पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

भारत के भीतर से पाकिस्तान को कौन दे रहा है खुफिया जानकारी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पुष्टि की है कि सीआरपीएफ का जवान मोती राम जाट लगातार पाकिस्तानी अफसरों के संपर्क में था। जांच में खुलासा हुआ है कि वह भारतीय सैन्य ठिकानों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान तक पहुंचा रहा था। इसके बदले उसे पैसे भी ट्रांसफर किए जा रहे थे यानी यह देशद्रोह के बदले मुनाफे का सौदा था।

ये गिरफ्तारी ऐसे वक्त पर हुई है जब पाकिस्तान द्वारा भारतीय सैन्य अड्डों पर हमला करने की कोशिशें तेज़ हो गई थीं। जांच एजेंसियों को शक था कि अंदर से कोई पाकिस्तान को ‘भेद’ बता रहा है और अब ये शक यकीन में बदल चुका है।

सेना में कैसे पकड़े जाते हैं जासूस

देश की सुरक्षा को बचाए रखने के लिए आर्मी, CRPF, BSF जैसे बलों में अलग से साइबर मॉनिटरिंग सेल बनाए जाते हैं। इनका काम सिर्फ एक अपने ही लोगों की निगरानी। जानें कैसे होती है पहचान-

संदिग्ध सोशल मीडिया पोस्ट्स

फोन कॉल्स की ट्रैकिंग

इंटरनेट पर अन्य संदिग्ध गतिविधियां

गुप्त सूचना के आधार पर अंदरूनी जांच

एक बार जब किसी जवान या अधिकारी की गतिविधि संदिग्ध पाई जाती है तो एजेंसियां उसका मोबाइल, बैंकिंग ट्रांजेक्शन, सोशल नेटवर्किंग और लोकेशन ट्रैकिंग शुरू कर देती हैं। और सबूत मिलने पर आनन फानन गिरफ्तारी होती है।

जासूसी करने पर क्या होती है सज़ा

सेना या अर्धसैनिक बल में जासूसी साबित होने पर तीन स्तरों पर कार्रवाई होती है। सेना पुलिस द्वारा तत्काल गिरफ्तारी, सस्पेंशन और सेवाओं से बर्खास्तगी और एनआईए जैसी जांच एजेंसी को केस सौंपा जाता है।

देशद्रोह, षड्यंत्र, खुफिया जानकारी साझा करना इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। सबसे अहम बात सजा के बाद कोई पेंशन या भत्ता नहीं मिलता और दोषी को सरकारी गद्दार की फेहरिस्त में गिना जाता है।

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