Up kiran,Digital Desk : देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक NEET पास करने के बाद भी क्या एक दिन की देरी या एक छुट्टी आपका डॉक्टर बनने का सपना तोड़ सकती है? सुप्रीम कोर्ट में आए दो अलग-अलग मामलों ने इस कठोर हकीकत को सामने ला दिया है, जहां आर्थिक तंगी से जूझ रही एक छात्रा को निराशा हाथ लगी, तो वहीं तकनीकी दिक्कत का सामना कर रहे तीन अन्य छात्रों को राहत मिल गई।
सबसे मार्मिक मामला तमिलनाडु की छात्रा शिल्पा सुरेश का था, जिसे कोर्ट ने सलाह दी कि वह MBBS करने का विचार छोड़कर कोई और कोर्स कर ले और जिंदगी में आगे बढ़े।
गरीबी बनी अभिशाप: समय पर नहीं जुटा पाई 15 लाख
NEET-UG में 251 का स्कोर हासिल करने वाली शिल्पा सुरेश को तीसरे राउंड में चेन्नई के माधा मेडिकल कॉलेज में सीट अलॉट हुई थी। उसे 8 नवंबर तक 15 लाख रुपये की फीस भरकर कॉलेज में रिपोर्ट करना था।
छात्रा ने बताया कि बड़ी मुश्किलों के बाद उसने 8 नवंबर को ही फीस का इंतजाम किया, लेकिन उस दिन दूसरा शनिवार होने के कारण बैंकों में छुट्टी थी, जिससे वह NEFT या RTGS के जरिए पेमेंट नहीं कर सकी। जब उसने कॉलेज से संपर्क करने की कोशिश की, तो कोई जवाब नहीं मिला। नतीजा यह हुआ कि उसकी सीट खाली मानकर दूसरे राउंड के लिए भेज दी गई।
कोर्ट का सफर:
- मद्रास हाईकोर्ट (सिंगल बेंच): जस्टिस आनंद वेंकटेश ने छात्रा के अच्छे स्कोर को देखते हुए मानवीय आधार पर उसे एडमिशन देने का निर्देश दिया।
- मद्रास हाईकोर्ट (डिवीजन बेंच): लेकिन अगले ही दिन, जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम की बेंच ने यह आदेश पलट दिया। उन्होंने कहा कि नियमों का पालन करना अनिवार्य है और छात्रा को सलाह दी कि वह निराश न हो, "कोई दूसरा कोर्स करे और जिंदगी में आगे बढ़े।"
- सुप्रीम कोर्ट: अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में छात्रा को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है, जिससे उसका डॉक्टर बनने का सपना टूट गया है
_1938378415_100x75.jpg)
_637056544_100x75.jpg)
_1610392732_100x75.jpg)
_73513648_100x75.jpg)
_1583566413_100x75.jpg)