img

Up kiran,Digital Desk : कनाडा की राजनीति में गुरुवार को एक ऐसा बड़ा उलटफेर हुआ जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। कंज़र्वेटिव पार्टी के एक जाने-माने सांसद, माइकल मा, ने अचानक अपनी पार्टी को 'अलविदा' कहा और सीधा प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल सरकार का हाथ थाम लिया।

इस एक कदम ने कनाडा की सियासत में हलचल मचा दी है। माइकल मा ओंटारियो की मार्कहम-यूनियनविल सीट से सांसद हैं और पिछले एक महीने में अपनी पार्टी छोड़ने वाले वह दूसरे बड़े कंज़र्वेटिव नेता हैं।

तो आखिर माइकल मा ने अपनी पार्टी क्यों छोड़ी?

"मैं राजनीति में बंटवारा करने नहीं, बल्कि लोगों की समस्याओं का समाधान निकालने आया हूँ।"

उन्होंने प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की तारीफ करते हुए कहा कि देश को इस वक्त जैसे शांत और व्यावहारिक नेतृत्व की ज़रूरत है, वो कार्नी दे रहे हैं। मा का मानना है कि उनकी सरकार आम लोगों की समस्याओं को बेहतर तरीके से समझती है और उन पर काम करती है।

इस एक कदम का मतलब क्या है?

  • सरकार अब और मज़बूत: मा के आने से, प्रधानमंत्री कार्नी की लिबरल पार्टी अब संसद में बहुमत के जादुई आंकड़े से सिर्फ एक सीट दूर रह गई है। अगर उन्हें यह एक सीट और मिल जाती है, तो उन्हें अपने कानून पास कराने के लिए किसी विपक्षी पार्टी के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। वे पहले से कहीं ज़्यादा ताकतवर हो जाएंगे।

उधर, कंज़र्वेटिव पार्टी में गुस्सा और मायूसी

जाहिर है, माइकल मा के इस फैसले से कंज़र्वेटिव पार्टी में मातम जैसा माहौल है। पार्टी के नेता पियरे पोलिएवर ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा:

"माइकल मा को उनके इलाके के लोगों ने इसलिए चुना था ताकि वो लिबरल सरकार की महंगाई बढ़ाने वाली नीतियों का विरोध करें। और आज, वह उन्हीं नीतियों का साथ देने चले गए।"

यह घाव कंज़र्वेटिव नेता पोलिएवर के लिए इसलिए भी गहरा है, क्योंकि वह खुद एक मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं। वह पिछला चुनाव हार गए थे, अपनी संसद की सीट भी गँवा चुके हैं, और जनवरी में पार्टी के अंदर उनके नेतृत्व पर एक बड़ा फैसला होना है। ऐसे में अपनी ही टीम के एक खिलाड़ी का पाला बदलना उनके लिए एक बड़ा झटका है