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Up Kiran, Digital Desk: देश में डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए सरकार निरंतर और सशक्त प्रयास कर रही है। इसी अहम अभियान के तहत बड़े नोटों के चलन को धीरे-धीरे खत्म करने की दिशा में गंभीर कदम उठाए जा रहे हैं। आरबीआई ने पहले ही 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है, जिससे बाजार में ये नोट लगभग गायब हो चुके हैं। अब सरकार 500 रुपये के नोट को भी बंद करने की तैयारी कर रही है, जिससे आर्थिक प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। आइए इस महत्वपूर्ण विषय पर बैंकिंग एक्सपर्ट अश्विणी राणा की विशेषज्ञ राय से समझते हैं कि 500 रुपये के नोट कब तक बंद हो सकते हैं, इसके बाद की स्थिति क्या होगी और सरकार की क्या रणनीति है।

कब बंद होगें 500 रुपए के नोट

बैंकिंग एक्सपर्ट अश्विणी राणा के मुताबिक, सरकार आईबीआई की सहमति मिलने के बाद मार्च 2026 के बाद 500 रुपये के नोटों का बंदी कदम उठा सकती है। बड़े नोटों के चलन को कम करने के लिए पहले भी आरबीआई ने महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जिनका असर अब बाजार पर साफ नजर आने लगा है। 2,000 रुपये के नोट अब लगभग बाजार से निकल चुके हैं और 500 रुपये के नोट भी उसी दिशा में धीरे-धीरे गायब होंगे। यह प्रक्रिया सीधे तौर पर नोटबंदी जैसी कड़ी छवि नहीं रखेगी, बल्कि एक सुनियोजित और सावधानीपूर्वक बदलाव होगा।

अश्विणी राणा बताती हैं कि रिजर्व बैंकों को निर्देश देगा कि वे एटीएम में छोटे नोट जैसे 100 और 200 रुपये के नोटों की संख्या बढ़ाएं, ताकि आम जनता के लेन-देन में सहजता बनी रहे। इसके बाद ही 500 रुपये के नोटों के चलन को सीमित करने की घोषणा होगी। सरकार 500 रुपये के नोटों को पूरी तरह बंद नहीं करेगी, बल्कि धीरे-धीरे उनकी सर्कुलेशन को कम करते हुए जनता को अपने नोट जमा करने के लिए पर्याप्त समय देगी। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे नोटों को बाजार से हटाकर आरबीआई के पास जमा कराएगी, जिससे 500 रुपये के नोट धीरे-धीरे इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे।

इस बदलाव के साथ ही 100 और 200 रुपये के नोटों की मांग और सर्कुलेशन में तेज़ी आएगी। एटीएम में छोटे नोटों की संख्या बढ़ाई जाएगी ताकि जनता को बिना किसी असुविधा के नकदी उपलब्ध हो सके। जैसे 2,000 रुपये के नोट अब धीरे-धीरे बाजार से गायब हो गए हैं, वैसे ही 500 रुपये के नोट भी अपने अस्तित्व को धीरे-धीरे समाप्त करेंगे। यह बदलाव आर्थिक व्यवहार में एक नई छवि लाएगा, जिसमें डिजिटल पेमेंट और छोटे नोटों का प्रभुत्व होगा और देश की मुद्रा प्रणाली एक नई दिशा की ओर बढ़ेगी।

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