Up Kiran, Digital Desk: मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है, मैं तो बिलकुल ठीक हूँ यह वो लाइन है जो हम अक्सर ख़ुद को या दूसरों को कहते हुए सुनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज़ जैसी ख़तरनाक बीमारी अक्सर हमारे शरीर में दस्तक देने से पहले सालों तक चुपचाप बैठी रहती ? यह बीमारी एक दिन में नहीं बल्कि यह धीरे-धीरे शरीर को अंदर से खोखला करती और जब तक हमें इसका पता चलता है, तब तक अक्सर काफ़ी देर हो चुकी होती है।
मेडिकल की दुनिया में इसी चुपचाप वाली स्टेज को साइलेंट लेवल ऑफ़ डायबिटीज़ या प्री-डायबिटीज़ (Prediabetes) कहा जाता है। यह वो ख़तरनाक पड़ाव है जब आपका ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल से तो ज़्यादा होता है, लेकिन इतना भी नहीं कि उसे पूरी तरह से डायबिटीज़ कहा जा सके। आमतौर पर, जब आपका फ़ास्टिंग ब्लड शुगर 126 mg/dL या उससे ज़्यादा हो जाता तब आपको डायबिटिक माना जाता ਹੈ। लेकिन 100 से 125 mg/dL के बीच का लेवल ही वह 'साइलेंट ज़ोन जहाँ आपका शरीर आपको सिग्नल देना शुरू कर देता है।
दिक्कत यह है कि ये सिग्नल इतने आम और हल्के होते हैं कि हम उन्हें रोज़मर्रा की थकान या मौसम का असर समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। आइए जानते हैं डायबिटीज़ के उन शुरुआती और 'साइलेंट' इशारों के बारे में, जिन पर ध्यान देना आपकी ज़िंदगी बचा सकता है।
डायबिटीज के वो 5 साइलेंट सिग्नल जिन्हें हम इग्नोर कर देते हैं
1. आजकल पानी बहुत पी रहा (ज़रूरत से ज़्यादा प्यास लगना)
अगर आपको अचानक हर समय प्यास लगने लगीऔर आपका गला बार-बार सूखता है, तो इसे सिर्फ़ गर्मी या मौसम पर न टालें। जब ख़ून में शुगर का लेवल बढ़ता है, तो हमारी किडनिया उसे शरीर से बाहर निकालने के लिए ज़्यादा काम करती हैं। इस प्रोसेस में वे शरीर का पानी भी साथ में खींच लेती जिससे हमें बार-बार प्यास लगती है।
2. बार-बार बाथरूम के चक्कर लगाना (Frequent Urination)
ज़्यादा पानी पीने का नतीजा होता है बार-बार पेशाब आना, ख़ासकर रात के समय। अगर आपको रात में 2-3 बार से ज़्यादा बाथरूम के लिए उठना पड़ रहा ਹੈ, तो यह एक बड़ा सिग्नल हो सकता ਹੈ کہ आपकी किडनिया बढ़े हुए शुगर को बाहर निकालने के लिए ओवर-टाइम कर रही हैं।
3. कुछ किया भी नहीं, फिर भी थका हुआ हूँ(हर समय थकान और कमज़ोरी)
खाना खाने के बाद भी अगर आपको एनर्जी नहीं मिलती और आप दिन भर थका-थका या सुस्त महसूस करते तो यह ख़तरे की घंटी है। हमारा शरीर खाने से मिले ग्लूकोज़ (शुगर) को एनर्जी में बदलता लेकिन जब शरीर में इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता, तो यह शुगर सेल्स के अंदर नहीं जा पाता और ख़ून में ही घूमता रहता ਹੈ। नतीजा? शरीर को एनर्जी नहीं मिलती और हम थका हुआ महसूस करते हैं।
4. सब कुछ धुंधला-धुंधला क्यों है? (Blurry Vision)
हाई ब्लड शुगर शरीर के पानी को खींचता और इसका असर हमारी आँखों की नसों पर भी पड़ता है। यह आँखों के लेंस को सुजा सकता है, जिससे चीज़ों पर फ़ोकस करना मुश्किल हो जाता है और हमें धुंधला दिखाई देने लगता है। कई लोग इसे नज़र का कमज़ोर होना मानकर चश्मे का नंबर बदलवा लेते हैं, लेकिन असली वजह कुछ और ही होती ਹੈ।
5. छोटा सा घाव भी नहीं भर रहा? (Slow-Healing Sores)
अगर आपको लगी कोई छोटी-मोटी चोट या घाव भरने में सामान्य से ज़्यादा समय ले रहा तो यह भी एक बड़ा संकेत ਹੈ। हाई ब्लड शुगर हमारे नर्वस सिस्टम को डैमेज करता है और ब्लड सर्कुलेशन को भी ख़राब करता है, जिससे शरीर की ख़ुद को ठीक करने (heal) की ताक़त कम हो जाती ਹੈ।
क्या करें? यह गोल्डन चांस न गँवाएं
प्री-डायबिटीज़ का यह 'साइलेंट लेवल' असल में आपके लिए एक 'गोल्डन चांस' है। यह वो स्टेज है जहाँ से आप अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करके डायबिटीज़ को पूरी तरह से रोक सकते हैं या सालों तक टाल सकते हैं।
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा , तो बिना देरी किए अपना ब्लड शुगर टेस्ट कराएं। याद रखिए, इन छोटे-छोटे इशारों को पहचानना डरने के लिए नहीं, बल्कि सावधान होने के लिए ज़रूरी है। आज आपकी थोड़ी सी जागरूकता आपको भविष्य में एक बड़ी और ख़तरनाक बीमारी से बचा सकती है।
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