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Up Kiran, Digital Desk: मालेगांव बम विस्फोट मामला आखिरकार 17 साल बाद सुलझ गया है। इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। इनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल हैं। मालेगांव के भीखू चौक में हुए विस्फोट में 100 से ज़्यादा निर्दोष लोग घायल हुए थे और 6 लोगों की मौत हो गई थी। कर्नल पुरोहित इस मामले में आरोपों के चलते 9 साल जेल में रहे थे। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय कहा था कि पुरोहित राजनीति के कारण फँसे हुए थे, जिसके कारण उन्हें 9 साल जेल में बिताने पड़े।
कौन हैं कर्नल पुरोहित
कर्नल पुरोहित के पिता एक बैंक अधिकारी थे। पुणे में जन्मे कर्नल पुरोहित ने अपनी स्कूली शिक्षा अभिनव विद्यालय से और कॉलेज की शिक्षा गरवारे से पूरी की। 1994 में उन्हें मराठा लाइट इन्फैंट्री में जगह मिली। हालाँकि, स्वास्थ्य कारणों से उन्हें सेना के खुफिया विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया। 2002 से 2005 तक, वह आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए एमआई 25 इंटेलिजेंस फील्ड सिक्योरिटी यूनिट में तैनात थे। वह नासिक के सेवानिवृत्त मेजर रमेश उपाध्याय के संपर्क में आए। मालेगांव विस्फोट के आरोपी उपाध्याय ने अभिनव भारत नामक एक संगठन बनाया था। पुरोहित उसमें शामिल थे। मालेगांव विस्फोट का आरोप इसी हिंदुत्ववादी संगठन, अभिनव भारत पर लगाया गया था। पुरोहित पर सेना से 60 किलो आरडीएक्स चुराने, अभिनव भारत को धन मुहैया कराने और संगठन के लोगों को प्रशिक्षण देने का आरोप था। कहा जाता है कि चुराए गए आरडीएक्स का कुछ हिस्सा मालेगांव विस्फोट में इस्तेमाल किया गया था।
कैसे प्रताड़ित किया गया
मालेगाँव बम विस्फोट में बरी हुए लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने अदालत को बताया था कि कैसे उन्हें इस मामले में फँसाया गया और फिर प्रताड़ित किया गया। मुंबई में एटीएस अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया और उनका बायाँ घुटना तोड़ दिया। पुरोहित ने यह भी कहा था कि एटीएस अधिकारियों ने उन पर आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद के कुछ नेताओं और गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का दबाव डाला था। पुरोहित को 29 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन एटीएस ने यह नहीं दिखाया कि उन्हें गिरफ्तार किया गया है। मुंबई में गिरफ्तार होने के बाद, उन्हें खंडाला स्थित एक बंगले में ले जाया गया। पुरोहित ने अपना बयान दर्ज कराया था कि वहाँ कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
एनआईए कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और अन्य सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
क्या हुआ था?
29 सितंबर, 2008 को मालेगांव के लोग रमजान और नवरात्रि का महीना मनाने में व्यस्त थे। रात 9.35 बजे मालेगांव के भीखू चौक में एक बम विस्फोट हुआ। चारों ओर धुआँ और चीखें सुनाई दे रही थीं। विस्फोट में छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए। नासिक ज़िले के मालेगांव शहर में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय रहता है। विस्फोट इसी जगह हुआ।
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