Up Kiran, Digital Desk: डोनाल्ड ट्रंप की नई क्रिप्टो कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) कई विवादों में घिरी हुई है। इस पर सबसे बड़ा सवाल इसका चीनी और पाकिस्तानी कनेक्शन है। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीनी मूल के अरबपति जस्टिन सन, जो क्रिप्टो प्लेटफॉर्म ट्रॉन के संस्थापक हैं उन्होंने WLF में भारी निवेश किया। शुरुआत में उन्होंने 30 मिलियन डॉलर लगाए और ट्रंप की दोबारा राष्ट्रपति वापसी के तुरंत बाद 45 मिलियन डॉलर का और निवेश किया। इसके बदले उन्हें WLF का एडवाइजर बनाया गया। इसके कुछ ही समय बाद अमेरिकी एजेंसी SEC ने जस्टिन और उनकी कंपनियों पर चल रही धोखाधड़ी की जांच रोक दी, जिससे ट्रंप पर हितों के टकराव (Conflict of Interest) के गंभीर आरोप लगे।
जस्टिन सन और ट्रंप परिवार के रिश्ते समय के साथ और गहरे हुए। मई में जस्टिन को ट्रंप ब्रांडेड घड़ी गिफ्ट की गई और वे ट्रंप के बेटे एरिक ट्रंप के साथ दुबई व हॉन्ग कॉन्ग में WLF के क्रिप्टो इवेंट्स में भी शामिल हुए। खास बात ये है कि ट्रंप 2024 से पहले क्रिप्टोकरेंसी के कट्टर विरोधी थे, मगर WLF की लॉन्चिंग और क्रिप्टो इंडस्ट्री से चुनावी फंडिंग मिलने के बाद उनका रुख पूरी तरह बदल गया।
मामला यहीं नहीं रुका। अप्रैल 2025 में WLF ने पाकिस्तान के साथ एक बड़ी क्रिप्टो डील साइन की, जिसका मकसद पाकिस्तान को दक्षिण एशिया का क्रिप्टो हब बनाना है। यह समझौता पहलगाम आतंकी हमले के महज चार दिन बाद हुआ। इस डील के बाद ट्रंप परिवार की संपत्ति अरबों डॉलर बढ़ने की खबर है। अमेरिकी सुरक्षा हलकों में आरोप है कि इसी वजह से ट्रंप भारत के बजाय पाकिस्तान का पक्ष ले रहे हैं।
1 सितंबर से WLF टोकन की ट्रेडिंग शुरू हुई, जिससे ट्रंप परिवार की हिस्सेदारी की वैल्यू लगभग 5 अरब डॉलर हो गई। वहीं अमेरिकी जनता महंगाई और मंदी की आशंका से जूझ रही है। आलोचकों का कहना है कि WLF ने निजी कारोबार और सरकारी नीतियों की रेखा मिटा दी है। हाल ही में कंपनी ने जस्टिन सन के टोकन फ्रीज करने का दावा किया, मगर इसे महज़ दिखावा बताया जा रहा है।
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