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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में हुए एक महत्वपूर्ण सर्वेक्षण ने बिहार के दलित समुदाय की राजनीतिक नब्ज को समझने का प्रयास किया है, जिससे आगामी चुनावों के लिए कई दिलचस्प रुझान सामने आए हैं। यह अध्ययन नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स (NACDOAR) और द कन्वर्जेंट मीडिया (TCM) के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिसने 10 जून से 4 जुलाई 2025 के बीच गहन पड़ताल की।

सर्वे का दायरा और प्रमुख निष्कर्ष

ये ताजा सर्वे बिहार की 49 विधानसभा सीटों को कवर करते हुए, कोसी, मिथिलांचल, सीमांचल, भोजपुर, चंपारण और मगध-पाटलिपुत्र जैसे विविध क्षेत्रों में संचालित किया गया। 98 समर्पित दलित कार्यकर्ताओं ने इस कार्य को अंजाम दिया, जिसमें दुसाध, रविदास/चर्मकार और मुसहर सहित कुल 23 दलित जातियों को शामिल किया गया। सर्वेक्षण के चौंकाने वाले नतीजों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलित मतदाताओं के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनकर उभरे हैं, जबकि दिवंगत रामविलास पासवान को दलितों का सबसे बड़ा मार्गदर्शक माना गया है। मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार से अधिक प्राथमिकता दी जा रही है।

दलित नेताओं की पसंद और राजनीतिक झुकाव

सर्वेक्षण के अनुसार, 47.51% दलित मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी में अपना विश्वास व्यक्त किया है, जबकि राहुल गांधी को 40.30% का समर्थन मिला है। दलित समुदाय के सबसे बड़े नेता के रूप में, 52.35% लोगों ने निर्विवाद रूप से दिवंगत रामविलास पासवान को चुना है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि दुसाध समुदाय के 65.37% और अन्य छोटी जातियों के 68.36% लोग अभी भी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। वहीं, रविदास/चर्मकार समुदाय ने बाबू जगजीवन राम (47.87%) को अधिक पसंद किया। चिराग पासवान को 25.88% दलितों का समर्थन मिला है। मुख्यमंत्री पद के लिए, तेजस्वी यादव को 28.83% दलितों का समर्थन प्राप्त है, जो नीतीश कुमार (22.80%) से काफी अधिक है। यह संकेत देता है कि नीतीश कुमार की "महादलित" पहल की चमक अब फीकी पड़ रही है।

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