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Up Kiran, Digital Desk: 2009 में तीन महाद्वीपों के 5 देशों ने मिलकर ब्रिक्स नामक एक संगठन बनाया था। शायद उस समय दुनिया की महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका को इसका असर महसूस नहीं हुआ। लेकिन, इस संगठन की ताकत ने आज दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के माथे पर पसीना ला दिया है। इसीलिए डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों जब भी ब्रिक्स का ज़िक्र करते हैं, उत्साहित हो जाते हैं। आख़िर उन्हें ब्रिक्स से ऐसा कौन सा ख़तरा महसूस होता है कि वे न सिर्फ़ इस संगठन में शामिल देशों को बल्कि दूसरे देशों को भी इससे दूर रहने की धमकी देते रहते हैं।
हाल ही में ब्राज़ील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स देशों की एक बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने धमकियाँ देनी शुरू कर दीं। उन्होंने एक सार्वजनिक मंच से कहा कि अगर ब्रिक्स संगठन अमेरिका विरोधी नीति अपनाता है, तो वह हर उत्पाद पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा देंगे। इतना ही नहीं, उन्होंने संगठन में शामिल होने के इच्छुक अन्य देशों को भी धमकी दी कि अगर वे ब्रिक्स में शामिल होते हैं, तो उन्हें 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
शुरुआत में सिर्फ़ पाँच देश
शुरुआत में ब्रिक्स में सिर्फ़ पाँच देश शामिल थे - ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका लेकिन अब संगठनों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया भी इसमें शामिल हो गए हैं। दो महाद्वीपों - एशिया, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के देशों से बना ये संगठन दुनिया के कुल व्यापार का 20 प्रतिशत संभालता है। इसके अलावा, ब्रिक्स देश दुनिया की जीडीपी का 40 प्रतिशत और आबादी का 45 प्रतिशत हिस्सा भी संभालते हैं। इसका मतलब है कि यह संगठन अपने आप में एक बड़ा बाज़ार है। इसलिए, अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
डॉलर के प्रभुत्व पर ख़तरा
ब्रिक्स देश, ख़ासकर रूस और चीन अब अमेरिकी डॉलर के बजाय अपनी स्थानीय मुद्राओं में व्यापार कर रहे हैं। इस विचार पर दक्षिण अफ्रीका में 2023 के शिखर सम्मेलन और रूस के कज़ान में 2024 के शिखर सम्मेलन में चर्चा हुई थी। ट्रंप को डर है कि अगर ब्रिक्स देश अपनी मुद्राओं में व्यापार करना शुरू कर देते हैं या डॉलर का इस्तेमाल कम कर देते हैं, तो यह वैश्विक व्यापार में डॉलर के प्रभुत्व के लिए सीधी चुनौती होगी।
डर के मारे ट्रंप ने क्या कहा
डोनाल्ड ट्रंप के लिए सबसे बड़ा ख़तरा डी-डॉलराइज़ेशन है। इसीलिए उन्होंने सीधी धमकी दी है। ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर कहा कि अगर ब्रिक्स देश डॉलर का विकल्प ढूँढने की कोशिश करेंगे, तो उन पर 100% कर लगाया जाएगा। इसका मतलब है कि ट्रंप सभी 10 ब्रिक्स देशों को निशाना बना रहे हैं।
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