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Up Kiran, Digital Desk: आज के दौर में भारतीय निवेशक निवेश के नए और सुरक्षित विकल्पों की तलाश में हैं। इसी कड़ी में, 'हाइब्रिड म्यूचुअल फंड' योजनाएं उनकी पहली पसंद बनती जा रही हैं। ये फंड इक्विटी (शेयर बाजार) और डेट (बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूतियां) दोनों में निवेश करते हैं, जिससे निवेशकों को एक संतुलित पोर्टफोलियो मिलता है और बाजार की अस्थिरता के दौरान भी जोखिम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

निवेशकों के बीच इनकी बढ़ती लोकप्रियता के कई कारण हैं। पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण है 'संतुलित जोखिम-रिटर्न' का अनुपात। जहां इक्विटी अधिक रिटर्न का मौका देती है, वहीं डेट घटक स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है। यह निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है और उन्हें अपनी पूंजी की सुरक्षा का भरोसा देता है।

दूसरा कारण है 'विविधता'। हाइब्रिड फंड विभिन्न प्रकार की परिसंपत्ति वर्गों (asset classes) में निवेश करके पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करते हैं। इससे किसी एक परिसंपत्ति वर्ग में गिरावट का समग्र निवेश पर प्रभाव कम हो जाता है।

इसके अलावा, इन फंडों का प्रबंधन अनुभवी फंड मैनेजरों द्वारा किया जाता है। वे बाजार की स्थितियों का विश्लेषण करते हुए इक्विटी और डेट के बीच आवंटन (allocation) को समायोजित करते रहते हैं, जिससे निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने और जोखिम कम करने में मदद मिलती है। निवेशकों को फंड मैनेजरों की विशेषज्ञता का लाभ मिलता है, और उन्हें खुद विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों को ट्रैक करने की चिंता नहीं करनी पड़ती।

विशेषज्ञों का मानना है कि हाइब्रिड म्यूचुअल फंड उन निवेशकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं जो शेयर बाजार की पूरी अस्थिरता का सामना किए बिना इक्विटी ग्रोथ का हिस्सा बनना चाहते हैं। यह निवेश का एक 'बुद्धिमान' और 'सुविधाजनक' तरीका है जो निवेशकों को अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। बढ़ती जागरूकता और वित्तीय साक्षरता के साथ, भारतीय निवेशकों का रुझान हाइब्रिड म्यूचुअल फंडों की ओर लगातार बढ़ रहा है।

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