tirupati temple laddu: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से सवाल किया कि उन्होंने बिना किसी ठोस सबूत के सार्वजनिक रूप से ये इल्जाम क्यों लगाया कि तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में प्रसिद्ध लड्डू तैयार करने के लिए पशु वसा युक्त मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया।
अदालत ने पूछा, "जब आपने स्वयं जांच के आदेश दिए थे, तो प्रेस के पास जाने की क्या जरूरत थी?" जज ने कहा साथ ही टिप्पणी की, "कम से कम देवताओं को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए।"
जज ने कहा कि संवैधानिक कुर्सी पर बैठे लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे धर्म को राजनीति से अलग रखें। कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को दावा किया भले ही एफआईआर 25 सितंबर को दर्ज की गई थी और 26 सितंबर को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने तिरुपति मंदिर के लड्डू में कथित मिलावट के संबंध में याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा, "क्या ऐसा बयान दिया जाना चाहिए था जिससे भक्तों की भावनाएं आहत हों?... हमारा प्रथम दृष्टया मानना है कि जब जांच का आदेश दिया गया था, तो किसी उच्च संवैधानिक पदाधिकारी द्वारा जानकारी सार्वजनिक करना ठीक नहीं था। "
अदालत ने आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे मुकुल रोहतगी से कहा, "आपने एसआईटी का आदेश दिया है। परिणाम आने तक मीडिया में जाने की क्या जरुरत है? आप हमेशा से ही ऐसे मामलों में पेश होते रहे हैं...ये दूसरी बार है।"
SC ने ये भी पूछा कि भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू बनाने में दूषित घी का इस्तेमाल किए जाने के क्या सबूत हैं। इस पर तिरुपति मंदिर की ओर से हाजिर हुए वकील सिद्धार्थ लूथरा ने पीठ को बताया, "हम जांच कर रहे हैं।"
जज गवई ने तब पूछा, "फिर तुरंत प्रेस के पास जाने की क्या जरूरत थी? आपको धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।"
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