
Up Kiran, Digital Desk: जब दुनिया के बड़े देश आपस में कोई फैसला लेते हैं, तो उसका सीधा असर हम पर पड़ता है। एक ऐसी ही बड़ी और दिलचस्प कहानी अभी अंतरराष्ट्रीय राजनीति के गलियारों में चल रही है, जिसके केंद्र में भारत है, और किरदार हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस और NATO (दुनिया का सबसे शक्तिशाली सैन्य संगठन)।
कहानी की शुरुआत: ट्रंप की धमकी
कहानी शुरू होती है डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान से। उन्होंने कहा कि अगर वह 2025 में चुनाव जीतकर वापस आए तो भारत से आने वाले सामान पर भारी टैक्स (टैरिफ) लगाएंगे। यह भारत के लिए एक आर्थिक चुनौती जैसी बात थी।
कहानी में ट्विस्ट: NATO चीफ की एंट्री
लेकिन इस मामले में अब एक ऐसे शख्स की एंट्री हुई है, जिसकी बात पूरी दुनिया बहुत ध्यान से सुनती है - NATO के मुखिया, मार्क रूट। उन्होंने अमेरिका को आईना दिखाते हुए एक तरह से चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर आप भारत जैसे अपने दोस्त और लोकतांत्रिक साथी पर ही टैक्स लगाएंगे, तो इसका सीधा फायदा उन देशों को होगा, जिन्हें आप अपना प्रतिद्वंद्वी मानते हैं - यानी रूस और चीन।
क्या है इस चेतावनी का गहरा मतलब?
NATO चीफ का संदेश बहुत गहरा और साफ़ था। उन्होंने समझाया:
"आज दुनिया दो हिस्सों में बंट रही है। एक तरफ हम जैसे लोकतांत्रिक देश हैं और दूसरी तरफ रूस और चीन जैसी तानाशाही सरकारें हैं। ऐसे वक्त में, हमें (अमेरिका, NATO, भारत) एक दूसरे का हाथ मजबूती से थामे रखने की ज़रूरत है। अगर हम अपने ही दोस्तों को व्यापारिक लड़ाइयों में उलझा कर कमजोर करेंगे, तो हम अपने दुश्मनों को ही मजबूत बनाएंगे।"
NATO चीफ ने की पीएम मोदी की दिल खोलकर तारीफ
बात यहीं खत्म नहीं हुई। मार्क रूट ने भारत की बढ़ती हुई जिम्मेदार भूमिका की जम कर तारीफ की। उन्होंने खास तौर पर इस बात का ज़िक्र किया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीधी बातचीत करके यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की ज़रूरत पर जोर दिया है और शांति के लिए आवाज़ उठाई है।
यह इस बात का सबूत है कि दुनिया भारत को अब सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि एक ऐसी बड़ी वैश्विक ताकत के रूप में देखती है, जो रूस जैसे देश पर भी अपना असर डाल सकता है और शांति के लिए आवाज़ उठा सकता है।
NATO चीफ ने अमेरिका को यह समझाया है कि भारत को नाराज़ करना इस वक्त एक बहुत बड़ी रणनीतिक भूल होगी, जिसका फायदा सीधे तौर पर रूस को मिलेगा। यह घटना दिखाती है कि आज की वैश्विक शतरंज की बिसात पर भारत सिर्फ एक मोहरा नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा और समझदार खिलाड़ी बन चुका है।