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Up kiran,Digital Desk : अगर आप सिगरेट, पान मसाला या तंबाकू के किसी भी उत्पाद का सेवन करते हैं, तो यह खबर सीधे-सीधे आपकी जेब से जुड़ी है। केंद्र सरकार संसद में एक ऐसा नया बिल लेकर आई है, जिससे इन चीजों पर लगने वाले टैक्स का पूरा ढांचा ही बदल जाएगा।

देखने में यह एक मामूली सा बदलाव लग सकता है, लेकिन इसके पीछे सरकार की एक बड़ी सोच है। तो चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि यह पूरा मामला है क्या और इससे आप पर क्या असर पड़ने वाला है।

तो सरकार यह नया बिल ला ही क्यों रही है?

सीधी सी बात है- सरकार यह बिल्कुल नहीं चाहती कि सिगरेट, गुटखा या तंबाकू जैसे नुकसानदेह उत्पाद सस्ते हों।

हुआ यह कि अभी इन चीजों पर GST के साथ-साथ एक और खास तरह का टैक्स लगता है, जिसे 'GST क्षतिपूर्ति उपकर' (GST Compensation Cess) कहते हैं। यह एक अस्थायी टैक्स था, जो अब खत्म होने वाला है।

सरकार को डर था कि जैसे ही यह सेस हटेगा, इन उत्पादों पर लगने वाला कुल टैक्स कम हो जाएगा, और ये चीजें बाजार में सस्ती हो जाएंगी। ऐसा न हो, इसीलिए सरकार यह नया बिल लाई है।

तो इसका मतलब क्या हुआ?

इसका मतलब यह है कि सरकार पुराने सेस के खत्म होने से जो टैक्स का घाटा हो रहा है, उसे एक दूसरे टैक्स 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क' (Central Excise Duty) को बढ़ाकर पूरा कर लेगी। यानी, एक टैक्स खत्म होगा, तो दूसरा बढ़ जाएगा, ताकि इन उत्पादों की कीमत कम न हो, बल्कि उतनी ही बनी रहे या थोड़ी और बढ़ जाए।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में साफ कहा कि यह कदम इसलिए उठाया जा रहा है, ताकि कुल टैक्स का बोझ कम न होने पाए।

कितना बढ़ेगा टैक्स का बोझ?

  • सिगरेट, सिगार जैसी चीजों पर अब ₹5,000 से ₹11,000 प्रति 1,000 स्टिक की दर से टैक्स लगाने का प्रस्ताव है।
  • बिना प्रोसेस वाले तंबाकू पर 60% से 70% तक टैक्स लगेगा।
  • निकोटिन और वेप (Vape) जैसे उत्पादों पर तो 100% टैक्स लगाने का प्रावधान है।

तो अब जब पुराना क्षतिपूर्ति सेस हटेगा, तो तंबाकू और पान मसाला जैसे उत्पादों पर 40% GST के साथ-साथ यह नया और बढ़ा हुआ उत्पाद शुल्क भी लगेगा।

राज्यों के लिए भी एक अच्छी खबर

इसी चर्चा के दौरान वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि कोरोना के समय राज्यों की मदद के लिए जो कर्ज लिया गया था, केंद्र सरकार उसे अगले कुछ हफ्तों में पूरी तरह चुका देगी।

कुल मिलाकर, सरकार का इरादा साफ है। वह किसी भी हाल में 'सिन गुड्स' यानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाने वाले उत्पादों को सस्ता नहीं होने देना चाहती, ताकि लोग इनके सेवन से दूर रहें