सूरज का कलर अलग अलग कारकों से प्रभावित होता है। सूरज का रंग दिनभर में बदलता रहता है, जबकि सूर्यास्त के समय सूरज लाल-नारंगी या गहरे नारंगी रंग में दिखाई देता है। यह इसलिए होता है क्योंकि सूरज का प्रकाश धरती के वायुमंडल से गुजरता है और वायुमंडल में मौजूद धूल, धुंए, अधिक नमी, अधिक ऑजोन आदि जैसे कारकों से प्रभावित होता है।
वायुमंडल में मौजूद अधिक धूल, धुंए आदि कारक सूर्य के प्रकाश को टिकाऊ अवस्था में रोक देते हैं, जिससे सूरज का रंग पीला या नीला दिखता है। इसके विपरीत, जब वायुमंडल में कम धूल, कम धुंए, कम ऑजोन आदि कारक होते हैं, तब सूरज का रंग नारंगी या लाल होता है।
इसके अलावा, सूर्य का रंग दिन के विभिन्न समयों में भी बदलता है। सबसे ऊपर स्थित सूरज का कलर ज्यादा नीला होता है, जबकि सूरज ग्रह के करीब होते हुए ज्यादा पास आते हैं तो सूरज का रंग अधिक पीला या नारंगी होता है। यह स्थिति दिन में कई बार बदलती रहती है, जब धरती अपनी धारा के साथ सूरज के चारों ओर घूमती है।
अंततः, सूरज का रंग धरती के विभिन्न क्षेत्रों में भी थोड़े-थोड़े अंतर होते हैं। यह भी संभव होता है क्योंकि विभिन्न भौतिक परिस्थितियों के कारण धरती के अलग-अलग क्षेत्रों में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और अन्य धुंए आदि के स्तर में अंतर होता है।
इन सभी कारकों के संयोजन के कारण, सूरज का रंग अलग अलग वक्तों में अलग-अलग दिखता है। यह समझने में मदद करता है कि धरती के आसपास हमेशा एक ही रंग के सूरज को नहीं देखा जाता है।
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