Up Kiran, Digital Desk: हिंद महासागर में बढ़ती अशांति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बदलते समीकरणों के बीच भारतीय नौसेना तेजी से अपनी समुद्री पहुंच बढ़ा रही है. यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब बाहरी ताकतें भारत के समुद्री पड़ोस में अपनी गतिविधियां बढ़ा रही हैं, जिससे नई दिल्ली को सतर्कता और सूझबूझ के साथ आगे बढ़ना पड़ रहा है.
हाल के महीनों में भारतीय नौसेना की गतिविधियां सिर्फ पारंपरिक सैन्य अभ्यासों से कहीं बढ़कर रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की यह आक्रामक नौसैनिक कूटनीति दुनिया को एक स्पष्ट संदेश दे रही है.
उदाहरण के लिए, अगस्त में भारत और फिलीपींस के युद्धपोतों ने दक्षिण चीन सागर में पहली बार एक साथ गश्त की. यह कदम विवादित समुद्री क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच दक्षिण-पूर्व एशियाई भागीदारों के साथ एकजुटता दिखाने का एक संकेत था. इसके तुरंत बाद, भारत के स्वदेशी पोत आईएनएस निस्तार ने सिंगापुर में एक बहुराष्ट्रीय पनडुब्बी बचाव अभ्यास में हिस्सा लिया, जिसमें चीन और जापान सहित 12 देशों की नौसेनाएं शामिल थीं. वहीं, आईएनएस सह्याद्री मलेशिया के केमन में भी तैनात रहा.
पश्चिम की ओर देखें तो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रीस यात्रा के बाद भारत ने उस देश के साथ अपना पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया. ग्रीस के साथ भारत की यह नजदीकी तुर्की और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सहयोग को देखते हुए भी महत्वपूर्ण है.
एक तरफ जहां ब्रिटेन का विमानवाहक पोत एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स पश्चिमी हिंद महासागर में भारतीय नौसेना के साथ 'कोंकण' अभ्यास में शामिल हुआ, वहीं दूसरी तरफ हिंद महासागर में चीन के 'अनुसंधान जहाजों' का श्रीलंका और मालदीव में आना-जाना लगा हुआ है, जिन पर जासूसी का संदेह है. अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे सहयोगी देश भी अब ऐसे जहाज भेज रहे हैं, जिससे भारत के लिए स्थिति और भी नाजुक हो गई है. उसे अब यह तय करना है कि दोस्तों और दुश्मनों की गतिविधियों पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए.
इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत 'प्रोजेक्ट 77' पर तेजी से काम कर रहा है. यह 40,000 करोड़ रुपये की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसके तहत देश में ही परमाणु-संचालित पनडुब्बियां बनाई जाएंगी. भारतीय नौसेना का लक्ष्य 2036-37 तक 800 किलोमीटर रेंज की मिसाइलों से लैस दो पनडुब्बियों को तैयार करना है.
संक्षेप में, भूमध्य सागर से लेकर दक्षिण चीन सागर तक, नई दिल्ली के नौसैनिक कदम सिर्फ अपनी पहुंच का प्रदर्शन नहीं हैं, बल्कि यह एक मजबूत इरादे का बयान भी है. भारत दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दे रहा है कि वह अब सिर्फ समंदर की लहरों को देख नहीं रहा है, बल्कि उन्हें दिशा भी दे रहा है.
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