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Up Kiran, Digital Desk: पोलो - यह नाम सुनते ही हमारे दिमाग में घोड़ों पर सवार, राजसी अंदाज वाले खिलाड़ियों की तस्वीर आती है। इसे हमेशा से 'राजाओं का खेल' माना गया है। लेकिन भारत के सबसे बड़े पोलो सितारों में से एक, अर्जुन पुरस्कार विजेता सिमरन सिंह शेरगिल का कहना है कि अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया, तो यह खेल अपनी चमक खो सकता है।

एक खास बातचीत में, पोलो के इस दिग्गज खिलाड़ी ने इस खेल की मौजूदा स्थिति, खिलाड़ियों की घटती संख्या और इसे बचाने के उपायों पर खुलकर बात की।

क्या है पोलो के सामने सबसे बड़ी चिंता?

सिमरन सिंह शेरगिल ने साफ कहा, "दुर्भाग्य से, भारत में इस वक्त पोलो खिलाड़ियों की संख्या कम हो गई है।"

उन्होंने बताया कि चाहे युवा हों या सीनियर, हर स्तर पर खिलाड़ियों की कमी देखने को मिल रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि कुछ अच्छे युवा खिलाड़ी सिस्टम में आ रहे हैं, जिससे कुछ सालों में स्थिति सुधर सकती है। लेकिन फिलहाल, यह एक बड़ी चुनौती है।

तो क्या है इस खेल को बचाने का 'मास्टर प्लान'?

शेरगिल का मानना है कि इस खेल को फिर से लोकप्रिय बनाने और नए टैलेंट को सामने लाने का एक ही रास्ता है - इसे आसान और सुलभ बनाना।

1. छोटे टूर्नामेंट, बड़ा असर:उन्होंने जोर देकर कहा, "हमें बहुत हाई-लेवल के नहीं, बल्कि ज्यादा से ज्यादा एंट्री-लेवल (लोअर-लेवल) के टूर्नामेंट कराने की जरूरत है।"

क्यों है यह जरूरी? शेरगिल के मुताबिक, इससे ज्यादा लोग हिस्सा ले पाएंगे। जिन खिलाड़ियों का लेवल अभी बहुत ऊंचा नहीं है, उन्हें भी अच्छी टीमों में खेलने और जीतने का मौका मिलेगा। जब नए खिलाड़ी जीतेंगे, तो उनका हौसला बढ़ेगा और वे इस खेल में बने रहेंगे।

2. बच्चों और युवाओं को दो मौका:उनका दूसरा सुझाव है कि देश के हर पोलो सेंटर में जूनियर यानी युवा खिलाड़ियों के लिए ज्यादा से ज्यादा टूर्नामेंट आयोजित किए जाने चाहिए। इससे इन युवा लड़कों को खेलने का मौका मिलेगा, वे सीखेंगे और भविष्य के लिए तैयार होंगे।

जब यमुना की बाढ़ बनी विलेन: शेरगिल, जो जिंदल पैंथर पोलो टीम की रीढ़ हैं, आने वाले पोलो सीजन के लिए पूरी तैयारी कर रहे थे, लेकिन प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था।
उन्होंने बताया, "हमारी तैयारी काफी अच्छी चल रही थी। लेकिन दुर्भाग्य से, नोएडा में हमारे बेस पर बाढ़ आ गई। पहाड़ों से आए पानी के कारण यमुना नदी उफान पर थी, जिससे हमारे कुछ पोलो के मैदान और अस्तबल पानी में डूब गए। मैदान पर बहुत सारी रेत और कीचड़ भर गया है।"

इस सबके बावजूद, वह और उनकी टीम मैदानों को फिर से खेलने लायक बनाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, ताकि अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में शुरू होने वाले दिल्ली सीजन में हिस्सा ले सकें।

नई उम्मीदें और विदेशी खिलाड़ी

इतनी मुश्किलों के बाद भी, शेरगिल आने वाले सीजन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने अपनी टीम के कप्तान नवीन जिंदल और युवा खिलाड़ी वेंकटेश की जमकर तारीफ की। साथ ही, उन्होंने बताया कि इस सीजन में उनकी टीम के साथ कई बेहतरीन विदेशी खिलाड़ी भी जुड़ रहे हैं, जिससे टीम और भी मजबूत हो जाएगी।

अंत में, शेरगिल ने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर कॉरपोरेट जगत इस खेल में दिलचस्पी दिखाए और अपनी टीमें बनाए, तो भारत में पोलो की पूरी तस्वीर बदल सकती है।