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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक में इस समय जाति जनगणना की रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है. सरकार जहां इसे सामाजिक न्याय के लिए जरूरी बता रही है, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक वरिष्ठ नेता ने इसे एक राजनीतिक साजिश करार दिया है.

विधान परिषद के सदस्य बसवराज होरट्टी ने एक सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार का असली एजेंडा जातियों की गिनती करना नहीं, बल्कि राज्य के सबसे प्रभावशाली समुदायों में से एक, वीरशैव-लिंगायत समाज को बांटना है.

क्यों लगाया गया यह गंभीर आरोप?

होरट्टी का कहना है कि सरकार की नीयत में खोट है. उनके मुताबिक, जाति जनगणना की रिपोर्ट को इस तरह से तैयार किया गया है जिससे वीरशैव और लिंगायत समुदाय की अलग-अलग उपजातियों को दिखाकर उन्हें तोड़ने की कोशिश की जा सके. उनका दावा है कि इसका मकसद समुदाय की राजनीतिक और सामाजिक ताकत को कमजोर करना है, ताकि चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सके.

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पिछली सरकारें इस रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठा चुकी हैं और इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. ऐसे में मौजूदा सरकार का इस रिपोर्ट को लागू करने पर जोर देना, शक पैदा करता है.

समुदाय में बेचैनी का माहौल

इस बयान के बाद वीरशैव-लिंगायत समुदाय के भीतर भी बेचैनी का माहौल है. समुदाय के कई नेताओं को डर है कि यह रिपोर्ट उनके समाज में दरार पैदा कर सकती है. उनका मानना है कि सरकार को ऐसी किसी भी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से पहले समुदाय के नेताओं और मठों से बात करनी चाहिए.

यह विवाद अब सिर्फ आंकड़ों का नहीं रह गया है, बल्कि यह कर्नाटक की सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों से जुड़ गया है. अब देखना यह होगा कि क्या सरकार इन आरोपों का कोई जवाब देती है या इस रिपोर्ट को लेकर अपना कदम आगे बढ़ाती है.