_1745381963.png)
Up Kiran, Digital Desk: हिंदू धर्म में पूजा का आयोजन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। माना जाता है कि हर दिन विधिपूर्वक पूजा करने से घर में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है। जब घर में नियमित पूजा होती है, तो वहाँ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में शांति का अनुभव होता है। पूजा का समापन भगवान की आरती से ही होता है, जो हर पूजा का अभिन्न अंग है। हालांकि, बहुत से लोग आरती करने के सही तरीकों को नजरअंदाज कर देते हैं, और इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का पालन नहीं करते। क्या आप जानते हैं कि आरती करने का सबसे सही तरीका क्या है?
आरती करने का सही तरीका: क्या है सही विधि?
धार्मिक शास्त्रों में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर पूजा सच्चे मन से की जाए तो वह भगवान के दरबार में स्वीकार होती है। इसी तरह, आरती करने के भी कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। हालांकि, बहुत से लोग यह मानते हैं कि किसी भी स्थिति में आरती करना शुभ होता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार आरती करने के कुछ खास तरीके हैं।
आइए, जानते हैं कि क्या बैठकर आरती करना सही है या फिर खड़े होकर आरती करना ज्यादा शुभ है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बैठकर आरती करना कभी भी शुभ नहीं माना जाता। बल्कि, आरती करते समय खड़ा होना शुभ होता है। खड़े होकर थोड़ा झुककर आरती करने से और भी अधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं।
आरती के लिए सही सामग्री और विधि
इसके अलावा, यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आरती करने के लिए हमेशा पीतल, तांबे या चांदी की थाली का ही उपयोग करना चाहिए। इन धातुओं की थाली में आरती करना ज्यादा प्रभावी और शुभ माना जाता है।
आरती के दौरान थाल को भगवान के पांव की ओर घुमाना सबसे पहली बात है। इसके बाद, थाल को चार बार घुमाना चाहिए। फिर भगवान के नाभि क्षेत्र की ओर थाल को दो बार घुमाना चाहिए। इस प्रक्रिया के बाद, भगवान के चेहरे के सामने आरती करते समय, थाल को एक बार घुमाना चाहिए। अंत में, भगवान के पूरे शरीर पर थाली को सात बार घुमाना चाहिए।
--Advertisement--