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Up Kiran, Digital Desk: भारत का प्रधानमंत्री पद न केवल प्रशासनिक रूप से अहम है, बल्कि इसकी अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारियाँ भी बहुत व्यापक हैं। वैश्विक बैठकों में भाग लेना हो या किसी देश के साथ कूटनीतिक संबंधों को मज़बूत करना पीएम को अक्सर विदेश यात्रा करनी पड़ती है। अब ऐसे में एक सवाल कई लोगों के मन में आता है कि जब आम आदमी को विदेश जाने से पहले वीज़ा लेना होता है, तो क्या यही नियम देश के प्रधानमंत्री पर भी लागू होता है?
इस सवाल का जवाब दिलचस्प है और थोड़ा खास भी। प्रधानमंत्री के पास एक सामान्य पासपोर्ट नहीं होता, जैसा आम नागरिकों के पास होता है। उनके पास एक विशेष पासपोर्ट होता है, जिसे 'डिप्लोमैटिक पासपोर्ट' कहा जाता है।
ये पासपोर्ट भारत सरकार की ओर से उच्च पदस्थ अफसरों, राजनयिकों और कुछ चुनिंदा प्रतिनिधियों को दिया जाता है। इस पासपोर्ट की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इसके धारक को अधिकांश देशों में प्रवेश के लिए वीज़ा की आवश्यकता नहीं पड़ती।
भारत का राजनयिक पासपोर्ट दिखने में भी अलग होता है ये गहरे मैरून रंग का होता है और इसकी वैधता आमतौर पर पांच साल तक रहती है। यही नहीं, इस पासपोर्ट के जरिए यात्रा करने वालों को कई तरह की विशेष सुविधाएँ भी मिलती हैं, जैसे तेज़ इमिग्रेशन प्रक्रिया, सीमा शुल्क में राहत और कई देशों में विशेष सुरक्षा प्रोटोकॉल।
इस तरह जब प्रधानमंत्री किसी दूसरे देश की यात्रा पर जाते हैं, तो उन्हें वीज़ा की चिंता नहीं करनी पड़ती। उनका डिप्लोमैटिक स्टेटस ही उन्हें कई कूटनीतिक सुविधाओं का हकदार बनाता है।
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