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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की राजनीति में इन दिनों चिराग पासवान एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार मामला है आगामी विधानसभा चुनावों का, जहां लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को एनडीए के तहत 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। लेकिन नामांकन के एक झटके ने यह संख्या 28 पर ला दी है।

मढ़ौरा सीट से अभिनेत्री सीमा सिंह का नामांकन रद्द हो जाने के बाद एनडीए को बिना चुनाव लड़े एक सीट गंवानी पड़ी है। इस सीट पर अब राजद के जितेन्द्र राय की राह थोड़ी आसान हो सकती है। चिराग ने इसे एक मानवीय भूल बताते हुए कहा है कि पार्टी और चुनाव आयोग के बीच इस मुद्दे पर संवाद जारी है।

‘MY’ समीकरण का नया मतलब

चिराग पासवान की राजनीति में ‘MY’ समीकरण की बात करें, तो यहां 'M' का मतलब महिला और 'Y' का युवा है। यह समीकरण पारंपरिक 'मुस्लिम-यादव' गठजोड़ से अलग है, जो कि आमतौर पर राजद का चुनावी आधार माना जाता है। चिराग मानते हैं कि बिहार की महिलाएं जिस तरफ होती हैं, सत्ता उसी की होती है। साथ ही, युवा वोटर्स को लेकर भी वे काफी आशावान हैं।

"महिलाएं और युवा मेरी ताकत हैं। यही मेरा एमवाई समीकरण है।" ऐसा विश्वास जताते हैं चिराग, जो इस बार 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट का दावा कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने लोकसभा चुनावों में किया था।

राजनीति में भावनाओं का खेल

चुनाव प्रचार के दौरान चिराग ने अपने पिता, दिवंगत नेता रामविलास पासवान को भी याद किया। उन्होंने बताया कि जिस तरह उनके पिता ने भी एक समय 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था, ठीक उसी तरह इस बार उनकी पार्टी को भी उतनी ही सीटें मिली हैं। इसे वे संयोग नहीं, बल्कि एक आशीर्वाद मानते हैं।

महागठबंधन पर निशाना

जहां एनडीए में सीटों का बंटवारा साफ और तय है, वहीं महागठबंधन में अब तक उलझन बनी हुई है। चिराग ने विपक्ष पर तीखा तंज कसते हुए कहा, "जो लोग आपस में सीटें नहीं बांट पा रहे, वे सरकार में जाकर योजनाओं पर क्या राय बनाएंगे?"