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मुंबई: आगामी बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगरपालिका) चुनाव से पहले ठाकरे परिवार के दोनों राजनेताओं, उद्धव ठाकरे (शिवसेना UBT) और राज ठाकरे (MNS), के बीच दूरियाँ मिटने लगी हैं। सार्वजनिक मंच साझा करने और मराठी पहचान तथा हिंदी‑मराठी विवाद पर एकजुट संदेश देने से यह कयास तेज हैं कि उद्धव MVA (महाविकास आघाड़ी) छोड़कर राज ठाकरे के साथ हाथ मिला सकते हैं  ।

शिवसेना UBT के सांसद संजय राउत ने संकेत दिए हैं कि बीएमसी चुनाव में मना नहीं किया गया है कि दोनों दल साथ उतरें — "यदि मुंबई को बचाना है, तो मिले जुले चुनाव लड़ना सही रहेगा"  । राउत ने स्पष्ट किया कि लोकसभा/विधानसभा मायनेपूर्ण गठबंधन के मामले हैं, लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों की रणनीति अलग हो सकती है  ।

दूसरी ओर, कांग्रेस MVA गठबंधन की वर्तमान स्थिति पर सतर्क रवैया अपना रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि राज और उद्धव का मेल पारिवारिक लगाव या सिर्फ मराठी एजेंडे पर आधारित है, यह स्पष्ट होने पर ही MVA में राज ठाकरे के शामिल होने पर निर्णय लिया जाएगा  ।

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी चेताया है कि इससे MVA में दरार पड़ सकती है। उनका कहना है, "दोनों ठाकरे भाइयों के मिलकर चलने से MVA प्रभावित होगा"  ।

बीएमसी चुनाव भाजपा‑शिंदे गुट के लिए मौके बनाएगा, और यह ठाकरे बंधुओं की राजनैतिक प्रतिष्ठा के लिए भी एक बड़ी परीक्षा होगी। खबरों का मानना है कि उद्धव अब तीन विकल्प पर विचार कर रहे हैं:

1. MVA के साथ रहे


2. अकेले चुनाव लड़े


3. राज ठाकरे के साथ गठबंधन करें  ।

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