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बई 26/11 आतंकी हमलों के अहम आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाए जाने के बाद एनआईए ने 18 दिन की रिमांड पर लिया है। पूछताछ जारी है, लेकिन राणा जांच एजेंसी के सवालों से बचने की लगातार कोशिश कर रहा है। वह अक्सर जवाबों में टालमटोल कर रहा है और स्पष्ट जानकारी देने से कतरा रहा है।

'मुकदमा एक साल में निपटेगा?'—राणा ने जताई बेचैनी

पूछताछ के दौरान राणा ने अपने सरकारी वकीलों से कोर्ट की प्रक्रिया और मामले के निपटारे में लगने वाले समय को लेकर सवाल किया। उसने जानना चाहा कि क्या मुकदमा एक साल में खत्म हो जाएगा। इस पर वकीलों ने उसे बताया कि केवल चार्जशीट दाखिल करने में ही एक साल लग सकता है और मुकदमे की पूरी सुनवाई में 5 से 10 साल तक का समय लग सकता है। यह सुनकर राणा visibly घबरा गया और उसका चेहरा उतर गया।

'क्या मैं फिफ्थ ले सकता हूं?'—अमेरिकी कानून का हवाला

राणा ने अमेरिकी कानून का हवाला देते हुए पूछा, "क्या मैं 'फिफ्थ' ले सकता हूं?" यानी क्या वह ऐसे सवालों के जवाब देने से बच सकता है जो उसे फंसा सकते हैं। इस पर वकीलों ने स्पष्ट किया कि भारतीय कानून में भी किसी को खुद के खिलाफ गवाही देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

एनआईए की सख्ती के बीच पूरी सुरक्षा व्यवस्था

प्रत्यर्पण के समय राणा भूरे कपड़ों में, सफेद दाढ़ी, थका चेहरा और चश्मा लगाए नजर आया। उसके साथ सरकारी वकील पियूष सचदेवा और लक्ष्य धीर मौजूद थे। एनआईए अधिकारी उसे फल भी दे रहे हैं, हालांकि राणा ने खाने से इनकार कर दिया।

एनआईए इस केस को एक मिसाल बनाना चाहती है। राणा की सेहत, सुरक्षा और कानूनी अधिकारों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। कोर्ट के निर्देश पर हर 48 घंटे में उसका मेडिकल चेकअप भी कराया जा रहा है, ताकि जांच प्रक्रिया पर कोई सवाल न उठ सके।