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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर में एक महिला की नसबंदी के बाद हुई प्रेगनेंसी ने स्थानीय स्वास्थ्य महकमे के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर दी है. महिला गर्भपात कराना चाहती है, मगर स्वास्थ्य विभाग इस मामले में ऊहापोह की स्थिति में है, जिससे महिला और उसके परिजन दो दिनों से अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने पहले दवा देकर भ्रूण को खत्म करने की बात कही, मगर अब गर्भपात करने से टालमटोल कर रहे हैं.
यह मामला अंबेडकरनगर के टांडा कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का है. बताया जा रहा है कि संबंधित महिला की फरवरी 2021 में नसबंदी हुई थी. इसके बावजूद महिला गर्भवती हो गई. प्रेगनेंसी की जानकारी होने पर परिजन महिला को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां जांच में पता चला कि महिला ढाई माह से गर्भवती है. महिला बच्चे को जन्म देने को तैयार नहीं है. पहले तो उसे समझाने का प्रयास किया गया, मगर महिला और उसके परिजनों ने साफ़ इंकार कर दिया.
अस्पतालों के चक्कर काट रही है महिला
परिजनों का आरोप है कि प्रेगनेंसी की जानकारी होने पर पहले जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां देखने के बाद डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज ले जाने को कहा. जब महिला को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे, तो वहां डॉक्टरों ने "जिंदा बच्चे का गर्भपात करने से इंकार" कर दिया.
पांच जून को परिजन दोबारा महिला को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे. वहां मौजूद एक महिला डॉक्टर ने कथित तौर पर कहा कि "पहले यह दवा खिला दो जिससे भ्रूण खत्म हो जाएगा," और दो दिन बाद अबॉर्शन करने की बात कही. हालांकि, जब परिजन दो दिन बाद पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि जिस डॉक्टर ने दवा दी थी, उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. नर्स ने कथित रूप से यह भी कहा कि "बच्चा मर चुका है और इसे जल्दी से निकलवा लो."
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