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Up Kiran, Digital Desk: भागलपुर जनपद के नवगछिया में एक बड़े धोखाधड़ी प्रकरण का खुलासा हुआ है जिसने न सिर्फ स्थानीय बैंकिंग व्यवस्था को सवालों के घेरे में डाला है बल्कि महिलाओं के भविष्य को भी संकट में डाल दिया है। एक वसूली एजेंट ने बैंक से ऋण लेने वाली महिलाओं से 1 करोड़ 40 लाख रुपये ठग लिए और फरार हो गया। ये घटना तब सामने आई जब बैंक ने इन महिलाओं को लोन की अदायगी में चूक के कारण नोटिस भेजा। इसके बाद महिलाएं न केवल बैंक के कार्यालय में पहुंचीं बल्कि हंगामा भी किया।

समाज उन्नति केंद्र नामक एनजीओ के माध्यम से इन महिलाओं को केनरा बैंक से ऋण दिया गया था और बैंक में हर महीने एजेंट के माध्यम से उनका भुगतान किया जाता था। महिलाओं का कहना है कि हर महीने ऋण की किस्त एजेंट के पास जमा की जाती थी मगर ये धोखाधड़ी तब सामने आई जब बैंक ने लोन की अदायगी को लेकर नोटिस भेजा जिससे महिलाओं को पता चला कि उनका पैसा जमा ही नहीं हुआ है।

बैंक में महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा और करीब तीन दर्जन महिलाएं बैंक प्रबंधक के चैंबर में घुस गईं जहां उन्होंने जमकर हंगामा किया। उनके मुताबिक एजेंट ने उन्हें आश्वस्त किया था कि उनका पैसा बैंक में जमा किया जा रहा है मगर वास्तविकता कुछ और ही थी। महिलाओं ने आरोप लगाया कि बैंक के मैनेजर और एजेंट के बीच मिलीभगत से ये धोखाधड़ी हुई है।

बैंक के मैनेजर इमरान सिद्दीकी ने इस मामले की जानकारी दी और बताया कि कुल 95 लोन महिलाओं को दिए गए थे। उन्होंने बताया कि एनजीओ के एजेंट अमरेश और संजीत नियमित रूप से महिलाओं से किस्त इकट्ठा करते थे और उन्हें बैंक में जमा करते थे। हालांकि एक साल बाद ये सामने आया कि एजेंटों ने कुछ किस्तें बैंक में जमा नहीं कीं जिसके कारण अकाउंट अब "एलपी" हो रहे हैं। इसका असर महिलाओं के सिविल स्कोर पर भी पड़ा है।

इस घटना से ये स्पष्ट होता है कि स्थानीय बैंकिंग व्यवस्था और एनजीओ के बीच विश्वास की खामी ने महिलाओं को बड़ी वित्तीय परेशानी में डाल दिया। ये धोखाधड़ी न केवल उन महिलाओं के लिए परेशानी का कारण बनी है बल्कि पूरे इलाके में वित्तीय संस्थाओं पर सवाल भी उठाए हैं। ये मामला इस बात को भी उजागर करता है कि गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर बिना पर्याप्त निगरानी के ऋण वितरण और वसूली की प्रक्रियाएं चलती हैं जिससे ऐसे धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं।

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