
Up Kiran, Digital Desk: भारत सरकार ने विदेशों में काम करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए एक बड़ी पहल की है। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री, डॉ. मनसुख मंडाविया ने मलेशिया में आयोजित विश्व सामाजिक सुरक्षा शिखर सम्मेलन (WSSF) के दौरान मलेशिया और युगांडा के मंत्रियों के साथ आमने-सामने बैठकर महत्वपूर्ण बातचीत की। इस बातचीत का मुख्य मकसद इन देशों में भारतीय कामगारों के आने-जाने को और ज़्यादा सुरक्षित और फायदेमंद बनाना है।
क्यों हैं ये बैठकें इतनी ख़ास: दरअसल, डॉ. मंडाविया भारत सरकार की ओर से 'सामाजिक सुरक्षा में असाधारण उपलब्धि' के लिए ISSA अवार्ड 2025 लेने के लिए मलेशिया गए हैं। यह भारत के लिए एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय सम्मान है। इसी दौरान उन्होंने इन अहम मुलाकातों को अंजाम दिया।
बातचीत में क्या-क्या हुआ: ISSA के अध्यक्ष से मुलाकात: डॉ. मंडाविया ने अंतरराष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (ISSA) के अध्यक्ष से मुलाकात की और भारत की डिजिटल पहलों, ख़ासकर e-Shram और नेशनल करियर सर्विस (NCS) प्लेटफॉर्मों के बारे में बताया। ISSA अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में सामाजिक सुरक्षा के दायरे को इतनी तेज़ी से बढ़ाने के लिए भारत की जमकर तारीफ़ की।
युगांडा के साथ क्या हुई बात?: युगांडा की श्रम मंत्री बेट्टी अमोंगी ओंगोम के साथ हुई बैठक में दोनों देशों ने अपने पुराने ऐतिहासिक संबंधों को याद किया। भारत ने युगांडा को अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे e-Shram और NCS को विकसित करने में मदद करने की पेशकश की। युगांडा ने भारत के इस डिजिटल मॉडल को जल्द से जल्द अपनाने में गहरी दिलचस्पी दिखाई।
मलेशिया से क्या मिला भरोसा?: मलेशिया के मानव संसाधन मंत्री स्टीवन सिम ची केओंग के साथ चर्चा में डॉ. मंडाविया ने कहा कि भारत अपने कुशल और पेशेवर कार्यबल के ज़रिए मलेशिया के श्रम बाज़ार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तैयार है। दोनों नेताओं ने आईटी, नवीकरणीय ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे भविष्य के क्षेत्रों में मिलकर काम करने की बात पर ज़ोर दिया।
आम भारतीय के लिए इसका क्या मतलब है?
इन बैठकों और समझौतों का सीधा फ़ायदा उन भारतीयों को मिलेगा जो मलेशिया और युगांडा में काम करने जाते हैं या जाना चाहते हैं:
सुरक्षित माहौल: इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारतीय कामगारों को वहाँ एक सुरक्षित माहौल मिले।
कौशल को मान्यता: भारतीय कामगारों के कौशल को मान्यता मिलेगी, जिससे बेहतर नौकरियाँ मिलेंगी।
अधिकारों की सुरक्षा: कामगारों के सामाजिक और कानूनी अधिकारों की रक्षा होगी।
यह दिखाता है कि भारत सरकार न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी अपने नागरिकों के कल्याण के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।