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उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासनिक निकायों पर सख्त कार्रवाई और विवादों की सीरीज जारी है। कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंबेडकर नगर के SP (प्रभारी) को कड़ी फटकार लगाई। कारण था एक छात्रा का दुपट्टा खींचे जाने का मामला, जिसमें पुलिस कार्रवाई धीमी पड़ी। योगी ने SP से कहा: "तुम अपराधियों की आरती उतार रहे थे क्या?"  ।

इसी बीच, अलीगढ़ में SSP संजीव सुमन ने दो हेड कांस्टेबल को बर्खास्त किया है। उनमें से एक झूठी सूचना देकर प्रमोशन हासिल कर चुका था, जबकि दूसरा लंबे समय से गैरहाजिर था  । यह कदम पुलिस में अनुशासन सुधारने की दिशा में लिया गया।

आज सुपरिक्रमण हुआ जब एक कथावाचक 'मुकुट मणि' पर केस दर्ज हुआ। (विशिष्ट जानकारी अभी सामने नहीं आई है, पर मामला संज्ञान में आया है।) साथ ही, इटवा में कथावाचकों की एक घटना भी सुर्खियों में आई — जहां कथावाचकों के बाल मुंडवाकर बदनाम किया गया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विरोध जताते हुए, प्रत्येक पीड़ित को ₹51,000 देने का एलान किया और भाजपा से इस कार्य पर कानून बनाने की मांग की  ।

इन घटनाओं ने संकेत दिया है कि यूपी में कानून‑व्यवस्था, अभिव्यक्ति की आज़ादी और पुलिस कार्रवाई का फोकस है। मुख्यमंत्री फटकार स्वीकार नहीं करेंगे, पुलिस स्पष्ट नीति से कार्य करेगी, और कथावाचकों को भी प्रशासन समर्थन दे रहा है।

इन मामलों पर राजनीति भी गर्म है — विपक्षी दलों का आरोप है कि ये कार्रवाइयां आत्म-चिंतन और शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा हैं।

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